सूरत अग्निकांड मामले में मानवाधिकार आयोग ने गुजरात सरकार भेजा नोटिस


Human Rights Commission sent notice to Gujarat government in Surat fire case

 

मानवाधिकार आयोग ने सूरत अग्निकांड मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है . 24 मई को एक व्यावसायिक बिल्डिंग में चल रहे कोचिंग में लगे भीषण आग में दो और छात्राओं की मौत के बाद मरने वालों की संख्या 22 तक पहुंच गई है.

अधिकारियों ने बताया कि आयोग ने यह भी कहा है कि पीड़ित परिवारों को मुआजवा देने की केवल घोषणा ऐसे नुकसान का इलाज नहीं है.

पुलिस ने बताया कि मरने वालों की उम्र 15 से 22 साल के बीच है जिनमें 18 लड़कियां हैं .

बयान में कहा गया है, “इस घटना को छात्रों के मानवाधिकारों का जबरदस्त उल्लंघन समझते हुए आयोग ने गुजरात सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर मामले में इमारत के मालिक और अन्य दोषी पाये गए लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने, और संबंधित लोकसेवक के खिलाफ की गयी कार्रवाई सहित विस्तृत रिपोर्ट तलब की है .”

इसमें यह भी कहा गया है कि आयोग ने मुख्य सचिव से रिपोर्ट में इमारत की कानूनी स्थिति, निर्माण, अग्निशमन के उपायों, अग्नि सुरक्षा मंजूरी तथा पीड़ित परिवार को दी गयी राहत को भी शामिल करने के लिए कहा है .

आयोग के बयान में कहा गया है, ‘‘आयोग यह भी अपेक्षा करता है कि घायल लोगों को राज्य की ओर से सर्वोत्तम और निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराया जाए. राज्य सरकार से चार हफ्तों के भीतर जवाब की अपेक्षा की जाती है.’’

आयोग ने कहा है, ‘‘मीडिया में आयी खबरों से ऐसा लगता है कि पीड़ितों के लिए कोई सुरक्षित रास्ता नहीं था जिसका इस्तेमाल आपात घटना के दौरान उसमें से निकलने के लिए किया जा सकता था. पीड़ित परिवारों के लिए केवल मुआवजे की घोषणा करना ऐसे खतरों का निदान नहीं है.’’

सरथाना पुलिस थाने के निरीक्षक एम एम पुरवार ने भी 22 छात्र-छात्राओं की मौत की पुष्टि की है.

सूरत पुलिस आयुक्त सतीश शर्मा ने बताया कि आरोपी कोचिंग संचालक भार्गव भूटानी को गिरफ्तार कर लिया गया और दो बिल्डरों की पहचान हर्षुल वेकारिया और जिग्नेश पालीवाल के रूप में हुई है और यह दोनों फरार चल रहे हैं.

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने शुक्रवार को राज्य में स्कूलों, कॉलेजों और कोचिंग सेंटरों के अग्नि सुरक्षा ऑडिट के आदेश दिए हैं.


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