हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी के विरोध में आए लोग, सस्ती शिक्षा की मांग की


hundred marched in protest of jnu fee hike

 

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हॉस्टल फीस बढ़ाए जाने का विरोध कर रहे छात्रों के समर्थन में बड़ी संख्या में लोग दिल्ली की सड़कों पर उतर आए.

प्रदर्शनकारियों में शिक्षक, छात्र, जेएनयू के पूर्व छात्र और नागरिक समाज के सदस्य शामिल रहे. उन्होंने मंडी हाउस से मार्च शुरू किया और विश्वविद्यालय प्रशासन से शुल्क वृद्धि वापस लेने और सरकार से ”सभी के लिए शिक्षा किफायती बनाने” की मांग करते हुए नारे लगाए.

प्रदर्शनकारी मंडी हाउस क्षेत्र में एकत्र हुए और उन्होंने पुलिस तैनाती के बीच मार्च करते हुए संसद की ओर बढ़ने की कोशिश की. पुलिस कर्मियों ने कनॉट प्लेट जाने वाली सड़कों को बंद कर दिया जिससे यातायात पर असर पड़ा.

जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि यह दक्षिणपंथ या वामपंथ का सवाल नहीं है बल्कि सही, गलत का सवाल है .

उन्होंने कहा, ”शिक्षा के क्षेत्र में कुछ सरकारी विश्वविद्यालय हैं जो अच्छा कर रहे हैं और ये सरकार की आंखों की किरकिरी बन चुके हैं. विश्वविद्यालयों पर पैसे खर्च करना धन की बर्बादी समझा जा रहा है लेकिन जब 3,000 करोड़ रुपये की प्रतिमा बनाई जाती है तो बर्बाद नहीं होता. इस शुल्क वृद्धि से महिलाएं और पिछड़े वर्ग के लोग प्रभावित होंगे.”

सभी समूह और क्षेत्र के लोगों ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया.

यह पहला मौका है जब सप्ताह भर से चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन में नागरिक समाज के सदस्यों ने भाग लिया है.

एसएफआई, केवाईएस, एआईएसएफ और एनएसयूआई सहित कई छात्र दलों के सदस्यों ने बड़ी संख्या में इस विरोध प्रदर्शन में भाग लिया.

राष्ट्रीय जनता दल और दलित समूह भीम आर्मी के कार्यकर्ता भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए.

जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष एन साई बालाजी ने कहा, ”आज, दिल्ली विश्व विद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, आईआईटी, एम्स सहित विभिन्न कॉलेज-विश्वविद्यालयों के छात्र हमारे प्रदर्शन में शामिल हुए. जेएनयू के लिए बोलने वालों को अपने अधिकारों के लिए भी बोलना चाहिए. हम देशव्यापी प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं.”

नेशनल फेडरेशन फॉर इंडियन वुमन की दिल्ली सचिव अल्का श्रीवास्तव ने कहा, ”हम निजीकरण के खिलाफ जेएनयू छात्रों के समर्थन में हैं. शिक्षा विशेषाधिकार नहीं है.”


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