लगभग सामान्य रहेगा इस बार मानसून


second driest pre monsoon season in india

 

भारतीय मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि इस साल मानसून सामान्य रहेगा. भू-विज्ञान मंत्रालय के सचिव राजीवन नायर ने कहा कि इस साल दक्षिणी-पश्चिमी मानसून सामान्य होने की वजह से भारत में मानसून सामान्य रहेगा.

उन्होंने कहा कि 2019 में लंबी अवधि औसत अर्थात एलपीए के 96 प्रतिशत वर्षा होने की संभावना है. एलपीए 1951 से 2000 के बीच हुई औसत वर्षा है, जोकि 89 सेमी है. एलपीए का 90 से 95 फीसदी औसत से कम वर्षा की श्रेणी में आता है.

दक्षिण-पश्चिम मानसून भारत में मई के अंत में दस्तक देता है. इस लिहाज से यह कृषि क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस चार महीने के मानसून में साल भर की 70 फीसदी वर्षा होती है.

इससे पहले मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाले वैश्विक संस्थानों ने बताया था कि प्रशांत महासागर के ऊपर ‘अल-नीनो’ कमजोर स्थिति में है और इन गर्मियों में ये ऐसा ही बना रहेगा. वहीं भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि ‘अल-नीनो’ बाद के महीनों में मजबूत स्थिति में आ जाएगा.

अगर ‘अल-नीनो’ जून और जुलाई में मजबूत होता है तो मानसून के पहले दो महीनों में बोई जाने वालीं खरीफ फसलों की बुआई में देरी हो सकती है, इससे पूरे फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

2014 और 2015 में कमजोर ‘अल-नीनो’ की वजह से भारत में सूखे जैसे हालात हो गए थे. वहीं 2016 में मजबूत ‘अल-नीनो’ की वजह से स्थिति सामान्य हुई थी. हालांकि, राजीवन नायर और मौसम विभाग ‘अल-नीनो’ की वजह से किसी नकारात्मक प्रभाव की संभावना नहीं देख रहे हैं.

2017 में मानसून लगभग सामान्य था. वहीं 2018 में यह औसत से नीचे चला गया था. भारतीय मौसम विभाग इस अनुमान के बाद मई में वृहद स्तर पर अनुमान पेश करेगा.


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