भारत की ओर से वित्तीय सहित कई डेटा जारी करने में देरी: आईएमएफ


IMF report point out several delays in India data release

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साल 2018 में भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के सदस्य देशों के लिए अनिवार्य विशेष डेटा प्रसार मानक (एसडीडीएस) के विभिन्न मानकों को पूरा करने में विफल रहा है. आईएमएफ की ओर से जारी सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2018 में भारत की ओर से विभिन्न श्रेणियों का डेटा जारी में कई देरी हुईं.

इससे पहले भी भारत में विभिन्न सरकारी संस्थानों से आंकड़े जारी करने में लगातार हो रही देरी पर सवाल उठाए गए थे. उदाहरण के लिए 2016 के बाद से नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े और 2015 के बाद से दुर्घटना संबंधित आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं.

आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि हाल के समय में भारत द्वारा वित्तीय सहित कई डेटा जारी करने में कई अनियमितताएं आई हैं.

आईएमएफ ने “Annual Observance Report of the Special Data Dissemination Standard for 2018” में कहा, “सभी आईएमएफ सदस्य देशों के लिए अनिवार्य एसडीडीएस के अनुरूप, भारत विभिन्न मानकों को पूरा करने में विफल रहा है. जबकि अन्य समकक्ष देश- ब्राजील, चीन, दक्षिण अफ्रीका और रूस (ब्रिक्स) ने लगातार सभी मानकों को पूरा किया है.”

रिपोर्ट के मुताबिक भारत की ओर से 2016 तक आंकड़े जारी करने में निरतंरता थी. लेकिन भारत 2017 और 2018 में विभिन्न श्रेणियों के डेटा जारी करने में विफल रहा.

विशेषज्ञों ने भारत की ओर से डेटा जारी करने में देरी पर चिंता जाहिर की है और कहा कि यह भारत की ओर से लापरवाही को दिखाता है.

आईएमएफ ने विशेष डेटा प्रसार मानक यानी एसडीडीएस 1996 में बनाया था और भारत इसके शुरुआती हस्ताक्षरकर्त्ता देशों में से एक है.

ये डेटा सदस्यों को डेटा में पारदर्शिता और वित्तीय बाजारों में सक्रिय सदस्यों को विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं पर पर्याप्त जानकारी मुहैया कराते हैं.

आईएमएफ की सालाना अवलोकन रिपोर्ट सभी सदस्य देशों की ओर से आंकड़े जारी करने में अनियमितताओं और निरंतरता को रेखांकित करती है.

आईएमएफ इस रिपोर्ट के लिए 20 डेटा श्रेणियों के लिए आंकड़े इकट्ठा करता है.

द हिंदू की खबर के मुताबिक भारत की ओर से आईएमएफ मानकों में अनियमितता हालिया समय में ही देखी गई है.

2018 में भारत ने 48 डेटा जारी नहीं किए. वहीं एडवांस रिलीज कैलेंडर में से डेटा की आठ श्रेणियां गायब हैं.

आर्थिक मामलों के विभाग में उपाध्यक्ष आकांक्षा अरोड़ा से डेटा जारी करने में देरी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि तकनीकी खराबी के कारण इस बार डेटा जारी करने में देरी हुई . उन्होंने कहा,  “2018 में वित्त मंत्रालय की वेबसाइट में कई बदलाव किए गए. इस वेबसाइट पर ही नेशनल समरी डेटा पेज (एनएसडीपी) का वेब पेज है, जहां एसडीडीएस के लिए आंकड़े रिकॉर्ड किए जाते हैं. पर लगातार बदलाव के कारण आई तकनीकी खमियों के चलते आंकड़े जारी नहीं किए जा सके.”

आईएमएफ के सांख्यिकी विभाग ने कहा कि भारत की ओर से एसडीडीएस मानकों को पूरा करने में अनियमितता अधिकतर देरी से ही जुड़ी है. “भारत ने एनएसडीपी पर कई आंकड़े देरी से जारी किए.”

आईएमएफ इस निष्कर्ष पर आया कि भारत की ओर से एनएसडीपी पर कुछ आंकड़े देरी से दिए गए. जबकि ये आंकड़े भारत सरकार की अन्य वेबसाइट्स पर नियमित समय पर डाले गए.

ऐसे में जब आईएमएफ से भारत की ओर से मानकों का पालना ना करने को गंभीर नहीं कहे जाने के बारे में पूछा गया तो उनके सांख्यिकी विभाग ने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने अन्य सरकारी वेबसाइट पर यह आंकड़े नियमित तौर पर डाले.

हालांकि कई विशेषज्ञों ने आंकड़े जारी करने में देरी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष पीसी मोहनन ने अखबार को बताया कि “आंकड़े जारी करने में अनियमितता अपर्याप्त देखभाल का नतीजा है, जिसकी वजह से आंकड़े जारी करने में स्पष्टता और पारदर्शिता की कमी आई.”

उन्होंने कहा, “एनएसडीपी पर दिए गए मेटाडेटा और रेफरेंस लिंक काफी समय से अपडेट नहीं हुए हैं.” वो कहते हैं कि पहले भी इसी तरह की परेशानियां आती थीं लेकिन इस तरह की देरी नहीं देखी गई.

मोहनन ने कहा, “सांख्यिकी ढांचा सरकार के सहायक के तौर पर काम कर रहा है. ऐसे में कानूनी ढांचे में सुधार की जरूरत है ताकि सांख्यिकी व्यवस्था अपने मानकों और विश्वसनीयता को एक बार फिर हासिल कर सके.”


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