आतंकियों को लेकर पाक के ‘कबूलनामे’ के बाद भारत ने कार्रवाई की मांग की


india criticizes malyasia's criticism over caa

 

पाकिस्तान में 30 से 40 हजार आतंकियों की मौजूदगी को लेकर वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान के बयान को भारत ने ‘स्पष्ट स्वीकारोक्ति’ बताया और कहा कि यह वक्त है कि इस्लामाबाद आतंकवादियों के खिलाफ भरोसेमंद और निरंतर कार्रवाई करे.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान और उसके नेतृत्व ने देश में आतंकियों की मौजूदगी की बात कबूली हो, जिन्हें कि हमले के लिए भारत भेजा जाता है.

अमेरिका के तीन दिवसीय दौरे के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वीकार किया था कि पाकिस्तान में लगभग 30 से 40 हजार ‘हथियारबंद लोग’ हैं, जिन्हें अफगानिस्तान या कश्मीर के किसी हिस्से में प्रशिक्षण मिला है और जिन्होंने वहां लड़ाई लड़ी है. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने देश में सक्रिय आतंकी समूहों के बारे में अमेरिका को सच नहीं बताया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘‘पाकिस्तानी नेतृत्व की यह स्पष्ट स्वीकारोक्ति है. यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान और पाकिस्तानी नेतृत्व ने पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण केंद्र और आतंकियों की मौजूदगी की बात मानी हो…लोगों को भी पता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी यह जानता है.’’

उन्होंने कहा कि चूंकि खान ने माना है कि उनके देश में आतंकी प्रशिक्षण शिविरों की मौजूदगी है, इसलिए यह वक्त है कि पाकिस्तान विश्वसनीय और निरंतर कार्रवाई करे.’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि पाकिस्तान में सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म किया जाए. हमारा मानना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को खुश करने के लिए महज आधे-अधूरे कदमों से कुछ नहीं होगा.’’

भारत और अफगानिस्तान, पाकिस्तान पर अफगान तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, जैश-ए-मोहम्मद, लश्करे तैयबा और अन्य आतंकी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने के आरोप लगाते हैं.

खान ने कहा था, ‘‘हम पहली सरकार हैं जिसने आतंकी समूहों को निरस्त्र करना शुरू किया है. यह पहली बार हो रहा है. हमने उनके संस्थानों और मदरसों का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है. हमने वहां प्रशासक नियुक्त किए हैं.’’

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘‘पाकिस्तान में 40 अलग-अलग आतंकवादी समूह सक्रिय थे. पाकिस्तान ऐसे दौर से गुजरा है जहां हमारे जैसे लोग चिंतित थे कि क्या हम (पाकिस्तान) इससे सुरक्षित निकल पाएंगे. इसलिए जब अमेरिका हमसे और करने तथा अमेरिका की लड़ाई को जीतने में हमारी मदद की आशा कर रहा था, उसी वक्त पाकिस्तान अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ रहा था.’’

भारत आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने के लिए लगातार कूटनीतिक प्रयास कर रहा है.


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