कारखाना क्षेत्र की वृद्धि दर में गिरावट,15 महीने में सबसे निचले स्तर पर


Industrial growth rate decreases in April

 

देश के कारखाना क्षेत्र में अगस्त के महीने में हुई गिरावट बीते 15 महीनों की तुलना में सबसे निचले स्तर पर है. इसकी वजह बिक्री, मांग और उत्पादन में धीमी वृद्धि का होना और लागत का दबाव बढ़ना है.

सोमवार 2 सितंबर को एक निजी क्षेत्र के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है.

आईएचएस मार्किट का निक्केई मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) जुलाई की तुलना में अगस्त में 51.4 से गिरकर 52.5 हो गया है. यह मई 2018 से अबतक सबसे निचले स्तर पर है.

यह दो से अधिक वर्षों तक 50 अंक से ऊपर रहा है. 50 से नीचे का सूचकांक संकुचन को दर्शाता है.

आईएचएस मार्किट की मुख्य अर्थशास्त्री पोलीएना डी लीमा ने कहा है, “अगस्त के महीने में भारतीय कारखाना उद्योग में सुस्त आर्थिक वृद्धि और अधिक लागत मुद्रास्फीति का दबाव देखने को मिला है.”

समग्र मांग पर नजर रखने वाले एक उप-सूचकांक एक साल से ज्यादा वक्त के बाद सबसे कमजोर रहा. साथ ही विदेशी ऑर्डर 16 महीनों में सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ा है. बीते नौ महीनों में इनपुट लागत तेजी से बढ़ा है. जुलाई की तुलना में उत्पादन के दर में सुस्त वृद्धि हुई है. इससे पता चलता है कि कंपनियों का लाभ मार्जिन संकुचित हुआ है.

फिलहाल मुद्रास्फीति के नीचे रहने का अनुमान है. आरबीआई ने साल भर के लिए मिडियम-टर्म का लक्ष्य 4 फीसदी रखा है. उम्मीद की जा रही है कि अर्थव्यवस्था को राहत पहुंचाने के लिए केंद्रीय बैंक अक्तूबर में कोई कदम उठाएगी.

डे लीमा ने कहा, “एक और चिंताजनक संकेत पहली बार इनपुट खरीदारी में 15 महीनों में गिरावट होना है. यह स्टॉक में जानबूझ कर की गई कटौती और नकद की कमी के मिलेजुले कारणों को दर्शाता है.”

इसके अलावा सख्त मार्जिन और बढ़ते मांग में नरमी का मतलब है कि कंपनिया नौकरी देने में भी सक्षम नहीं हैं.

हालांकि,आने वाले 12 महीनों को लेकर कंपनियाों को कुछ उम्मीदें है.


Big News