अयोध्या मामला: मुस्लिम पक्षकारों ने देश का भविष्य ‘प्रभावित’ होने की बात कही


sc ask mp speaker to take decision on resignation of rebel legislators

 

सुप्रीम कोर्ट ने दशकों पुराने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड समेत मुस्लिम पक्षकारों को अपने लिखित नोट दाखिल करने की सोमवार को अनुमति दे दी.

इस मामले में मुस्लिम पक्षकारों ने कहा है कि फैसले का देश की भविष्य की राज्यव्यवस्था पर ”प्रभाव” पड़ेगा.

मुस्लिम पक्षकारों के एक वकील ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष कहा कि उन्हें ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ (राहत में बदलाव) पर उनके लिखित नोट रिकॉर्ड में लाने की अनुमति दी जाए ताकि पांच सदस्यीय संविधान पीठ इस पर गौर कर सके. संविधान पीठ ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले की 40 दिन सुनवाई करने के बाद 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

मामले में मुस्लिम पक्षकारों के एक वकील ने कहा कि विभिन्न पक्षों और शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री ने मुस्लिम पक्षकारों द्वारा सीलबंद लिफाफे में अपने लिखित नोट दाखिल कराने पर आपत्ति जताई है.

उन्होंने कहा, ‘हमने रविवार को सभी पक्षकारों को अपने लिखित नोट भेज दिए.’

उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह उनके नोट को रिकॉर्ड में रखने का रजिस्ट्री को आदेश दे.

पीठ में जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एसए नजीर भी शामिल हैं. पीठ ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में जमा कराए गए लिखित नोट के बारे में मीडिया के कुछ वर्गों ने पहले ही खबर दे दी है.


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