जेएनयू मामला: कन्हैया कुमार, अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी लंबित


in JNU sedition case court summoned investigation officer

 

जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य लोगों के खिलाफ देशद्रोह के मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने जांच अधिकारी को समन किया है. मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट मनीष खुराना को सरकारी वकील ने मंजूरी अब भी लंबित होने की जानकारी दी. इसके बाद मजिस्ट्रेट ने जांच अधिकारी को 11 दिसम्बर को बुलाया.

कोर्ट ने 18 सितम्बर को दिल्ली सरकार से एक महीने के अंदर कन्हैया और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने पर फैसला लेने को कहा था.

कोर्ट ने कहा था कि देरी के कारण अदालत का समय बर्बाद हुआ है क्योंकि आरोप पत्र दायर किए जाने के बाद भी मामला बार-बार सूचीबद्ध और स्थगित किया जा रहा है.

दिल्ली पुलिस ने 14 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कथित देशद्रोह मामले में चार्जशीट दाखिल की थी. पुलिस ने विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार समेत दस के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया है.

जिनमें जेनएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, सैयद उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य शामिल हैं. ये तीनों जेएनयू के छात्र रहे हैं. इसके अलावा आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल, बशारत अली और खालिद बशीर भट के खिलाफ चार्जशीट दर्ज की गई है.

आरोपियों पर आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह), 323 (जानबूझकर नुकसान पहुंचाने के लिए सजा), 465 (जालसाजी के लिए सजा), 471 (नकली दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड), 143 (गैर-कानूनी सभा या समूह का सदस्य होने के लिए सजा) 149 (गैर-कानूनी सभा का सदस्य होना), 147 (दंगों का आरोप) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप तय किए गए हैं.

आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह) के तहत मामला दर्ज करने के लिए संबंधित विभाग से पूर्व मंजूरी की जरूरत होती है और अगर मंजूरी खारिज कर दी जाती है तो कोर्ट चार्जशीट में मौजूद तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर सवाल उठा सकता है.


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