जेएनयू हिंसा पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर सवाल, अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं


in jnu violence case not one arrest no attacker identified

 

जेएनयू में हुई हिंसा के 36 घंटे बाद भी दिल्ली पुलिस आरोपियों की पहचान करने में नाकाम रही है.

दिल्ली पुलिस ने जेएनयू परिसर में दंगा करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में अज्ञात लोगों के खिलाफ सोमवार को प्राथमिकी दर्ज की. अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है. हालांकि तमाम वीडियो और गवाहों के बाद भी इस मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.

सीएए के खिलाफ और छात्र प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर लगातार गंभीर सवाल उठ रहे हैं. जामिया में बीते महीने दिल्ली पुलिस ने परिसर में घुस पर छात्रों पर लाठी चार्ज किया और टीयर गैस छोड़ा. रविवार को भी जेएनयू में पुलिस के रवैये पर कई सवाल खड़े किए गए हैं. पुलिस पर पत्रकार, समाज सेवी, प्रोफेसर और छात्रों ने शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है.

घटना में कुल 34 लोग घायल हो गए और कई छात्रों और प्रोफेसर्स को गंभीर चोटे आईं.

विश्वविद्यालय परिसर में करीबन तीन घंटों तक नकाबपोश बदमाशों ने उपद्रव किया. जबकि पुलिस को इस संबंध में पहला कॉल शाम 4.57 मिनट पर किया गया था.

जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने सोमवार सुबह अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद कहा, ”रविवार को परिसर में शांति मार्च के दौरान मुझे खासतौर पर निशाना बनाया गया. करीब 20-25 नकाबपोशों ने मार्च को बाधित किया तथा मुझ पर लोहे की छड़ों से हमला किया.”

घोष के सिर पर 16 टांके आए हैं और एक हाथ में प्लास्टर भी लगा है. घोष ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया, ”पिछले चार-पांच दिन से कुछ संघ समर्थित प्रोफेसर आंदोलन को नुकसान पहुंचाने के लिए हिंसा को भड़का रहे थे.”


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