प्रज्ञा सिंह के चुनाव लड़ने पर रोक की मांग


Pragya Singh Thakur has no exemption to produce at court

 

मालेगांव विस्फोट में अपने बेटे को खोने वाले एक पिता ने विशेष एनआईए अदालत से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के लोकसभा चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का अनुरोध किया है.

विस्फोट की इस घटना में अपने बेटे को खोने वाले निसार सईद नाम के व्यक्ति ने अदालत में यह अर्जी दी है.  बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा सिंह को मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है.

विशेष एनआईए मामलों के न्यायाधीश वी एस पाडलकर ने एनआईए और प्रज्ञा, दोनों से इस पर जवाब मांगा है. मामले को 22 अप्रैल के लिए निर्धारित किया गया है.

मृतक के पिता ने अर्जी में प्रज्ञा को मुंबई में अदालत की कार्यवाही में शामिल होने के लिए निर्देश देने और मामले में मुकदमे के प्रगति पर रहने को लेकर उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की है.

अर्जी में यह भी कहा गया कि प्रज्ञा स्वास्थ्य आधार पर जमानत पर हैं. यदि वह इस भीषण गर्मी में भी चुनाव लड़ने के लिए स्वस्थ हैं, तो फिर उन्होंने अदालत को गुमराह किया है.

इसमें कहा गया है कि प्रज्ञा की जमानत रद्द करने की मांग करने वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

राजनीतिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया कि मध्य प्रदेश की भोपाल संसदीय सीट से बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा को चुनाव लड़ने से रोका जाए क्योंकि उन पर आतंकवाद संबंधी आरोप हैं.

आयोग को लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते(एटीएस) ने पाया कि साल 2008 में हुये मालेगांव बम धमाके में ठाकुर ‘‘मुख्य षड्यंत्रकर्ता’’ हैं.  इस घटना में छह लोगों की मौत हो गई थी.

उन्होंने कहा कि अजमेर दरगाह बम धमाके में उनका नाम सामने आया है.

उन्होंने इस खत में लिखा, ‘‘मैं भारत के चुनाव आयोग से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करूंगा कि वह आदर्श आचार संहिता 2019 को लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाये और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई करते हुये उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाये.’’

गौरतलब है कि तहसीन पूनावाला को कांग्रेस के नजदीक माना जाता है.
कानून के अनुसार, 25 साल की आयु से अधिक का कोई व्यक्ति चुनाव लड़ने का अधिकार रखता है बशर्ते उसे किसी ऐसे अपराध में दोषी न ठहराया गया हो जिसमें सजा की अवधि दो साल से अधिक की हो.

उत्तर महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में यह विस्फोट सितंबर 2008 में हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी जबकि सौ से अधिक लोग घायल हो गए थे.

मालेगांव विस्फोट मामले में हुई थी गिरफ्तारी

मालेगांव विस्फोट मामले में महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ता (एटीएस) ने प्रज्ञा और अन्य को गिरफ्तार किया था. उनपर आरोप है कि वे एक हिंदू चरमपंथी संगठन का हिस्सा थे, जिसने इस विस्फोट को अंजाम दिया था. एनआईए ने बाद में प्रज्ञा को क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन अदालत ने उन्हें आरोप मुक्त नहीं किया था.

प्रज्ञा नौ साल जेल में रही हैं और 2017 में उन्हें खराब सेहत के चलते जमानत पर रिहा किया गया. उन पर गैर कानूनी गतिविधिया (निरोधक) कानून के तहत आरोप लगाये गये हैं.

अदालत ने प्रज्ञा के खिलाफ मकोका के तहत आरोप हटा दिए लेकिन वह अब भी गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मुकदमे का सामना कर रही हैं.


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