निगेटिव हुई ग्रामीण क्षेत्रों में आय वृद्धि


in september real rural wage recorded minus 3.8 per cent

 

सितंबर महीने में मुद्रास्फीति-समायोजित ग्रामीण आय वृद्धि में 3.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. एफएमसीजी और दोपहिया वाहनों की बिक्री में कमी के बाद ग्रामीण आय में गिरावट के ये आंकड़े अर्थव्यवस्था में ढ़ांचागत सुस्ती की कहानी कह रहे हैं.

लेबर ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण भारत में 25 पेशों (12 कृषि और 13 गैर-कृषि क्षेत्र) में कार्यरत पुरुष कामगारों की औसत आय सितंबर में 331.29 रुपये रही. बीते वर्ष इसी महीने की तुलना में आय में 3.42 फीसदी की वृद्धि हुई है.

लेकिन मुद्रास्फीति-समायोजित ग्रामीण आय वृद्धि साल-दर-साल घटकर (-3.77 फीसदी) रही.

बढ़ी हुई मुद्रास्फीति के चलते आय में मामूली वृद्धि का लाभ मजदूरों को नहीं मिल पाया है. नकारात्मक आंकड़े अर्थव्यवस्था में सुस्ती के गवाह हैं.

मार्केट रिसर्च फर्म नीलसन के मुताबिक जुलाई-सितंबर में रोजमर्रा के जरूरी सामानों की खपत साल-दर-साल घटकर पांच फीसदी रही. ये बीते सात वर्षों में सबसे कम है.

द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति-समायोजित ग्रामीण आय में गिरावट के पीछे दो कारण जिम्मेदार हैं.

पहला, ढ़ांचागत- नोटबंदी के बाद फसलों की कम कीमत, अर्थव्यवस्था में सुस्ती के चलते कृषि और अन्य क्षेत्रों में मजदूरों की मांग में कमी.

दूसरा, हालिया वजहें- मानसून में देरी के चलते विभिन्न इलाकों में शुरुआती सूखा और बेमौसम बारिश के कारण खरीफ फसलों की बुआई प्रभावित हुई है. कृषि क्षेत्र में भी मजदूरों की मांग घटने के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी मजदूरों की मांग में कमी आई है.


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