जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर संयम बरतें भारत और पाकिस्तान: यूएन महासचिव
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने भारत और पाकिस्तान से गुजारिश की है कि दोनों देश जम्मू-कश्मीर को प्रभावित करने वाले किसी भी कदम को उठाने में अधिक सावधानी बरतें.
उन्होंने शिमला समझौते का हवाला दिया जो किसी भी तीसरे पक्ष को इस मुद्दे पर मध्यस्थता करने की इजाजत नहीं देता है. उन्होंने यह बात गुरुवार 8 अगस्त को कही.
भारत सरकार ने सोमवार 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव की टिप्पणी इसी संदर्भ में थी.
पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को एकतरफा और गैर-कानूनी बताया है और कहा था कि वह इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में ले जाएगा.
गुटेरस के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र के महासचिव जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं. उन्होंने दोनों देशों के प्रमुखों से इस मुद्दे पर अत्यंत संयम रखने की गुजारिश की है.”
डुजारिक ने स्पष्ट करते हुए कहा, “महासचिव ने 1972 में हुए शिमला समझौते की भी बात कही है. यह दोनों देशों के द्विपक्षीय संबध से जुड़ा हुआ है. इसके तहत जम्मू-कश्मीर के मामले में आखिरी फैसले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की बात कही गई है. और यह संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत होगा.”
महासचिव ने इस मुद्दे पर मध्ययस्थता करने का कोई प्रस्ताव नहीं दिया है. बल्कि शिमला समझौते का हवाला देते हुए कहा कि यह द्विपक्षीय संबंध का मामला है जिसमें तीसरे पक्ष को हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं है.
गुटेरस ने बाकि देशों से भी इस मसले पर कोई कदम उठाने से बचने को कहा है, जिससे जम्मू-कश्मीर की स्थिति प्रभावित हो सकती है.
उन्होंने इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र का पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा वह क्षेत्र संयुक्त राष्ट्र के चार्टर से शासित है और जो सुरक्षा परिषद के संकल्प पर आधारित है.
कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प का हवाला देने पर अधिक स्पष्ट होने के लिए पूछे जाने पर डुजारिक ने कहा, “मैं इससे अधिक स्पष्ट नहीं होना चाहता हूं. इसका मतलब यह है कि कश्मीर पर लगी पाबंदी की हमें जानकारी है, जिसे लेकर हम चिंतित हैं.”
उन्होंने बताया कि यूएन सचिवालय ने इस मामले में भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारियों से संपर्क किया था.
उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दे पर महासचिव द्वारा सुरक्षा परिषद पर कुछ बोलने का इरादा नहीं है.
भारत के कदम उठाने के बाद पाकिस्तान ने भारतीय दूत को बर्खास्त कर दिया था और राजनयिक संबंध को तोड़ने का एलान किया था. इसके बाद भारत ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर भारत का अटूट अंग है. और जो भी मुद्दा है वो हमारा अंदरूनी मामला है.