चीन: सबसे बड़ा व्यापार समूह ‘RCEP’ तैयार करने की दिशा में अब भी अड़चने


india denies claims of being obstacle for agreement on largest trade bloc

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क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते पर 16 देशों की मंत्री स्तर की बैठक कल चीन की राजधानी बीजिंग में संपन्न हुई. दो दिवसीय बैठक का लक्ष्य था अमेरिका पर निर्भरता के बिना व्यापार देशों के सबसे बड़े समूह को तैयार करने के लिए समझौते को अंतिम रूपरेखा देना.

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी एक मुक्त व्यापार समझौता है जिसमें वस्तुओं एवं सेवाओं, निवेश, आर्थिक और तकनीकी सहयोग और बौद्धिक संपदा अधिकार से जुड़े मुद्दे शामिल हैं. आरसीईपी के 16 सदस्य देश इन क्षेत्रों में तय लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में लंबे समय से प्रयासरत हैं.

बैठक के बाद चीनी वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक बैठक में कई अहम समझौतों पर सहमति बनी है. पर जैसा कि शनिवार सत्र की शुरूआत में चीनी उप प्रधानमंत्री हू छुनह्वा ने भी कहा, “आरसीईपी के विषय में 80 फीसदी से अधिक मुद्दों पर सहमति बनी गई है, हालांकि अब भी कई ‘कठिन मुद्दे’ हैं जिन्हें अंतिम रूप देने के लिए अगले पांच महीने में सुलझाने की जरूरत है.”

इन कठिन मुद्दों में बाजार तक पहुंच, ई-कॉमर्स के नियम, बौद्धिक संपदा की सुरक्षा और निवेश पर नियंत्रण जैसे मुद्दे शामिल हैं. हु ने सभी सदस्य देशों से बाजार तक पहुंचे के मुद्दे पर अधिक लचीला रवैया अपनाने की मांग की.

वहीं सभी 16 सदस्य देशों ने साझा बयान में कहा है कि “बढ़ती अनिश्चितताओं के कारण विकास के दृष्टिकोण पर स्पष्टता नहीं बन पाई है, यह क्षेत्र के सामूहिक हित में है और सबसे बड़ी प्राथमिकता 2019 में आधुनिक, व्यापक, उच्च गुणवत्ता और पारस्परिक रूप से लाभप्रद आरसीईपी को अंतिम रूप देने की है, जैसा कि 16 आरसीईपी नेताओं के ओर से भी कहा गया है.”

आरसीईपी व्यापार वार्ता समिति की अगली बैठक जकार्ता में इस महीने की आखिर में होगी. वहीं मंत्रीस्तरीय बैठक बैंकॉक में सितंबर में होगी.

आरसीईपी में आसियान के 10 सदस्य देशों के साथ चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं. समझौते के सदस्य देश वैश्विक जीडीपी का एक-तिहाई हिस्से का निर्माण करेंगे. वहीं ये देश वैश्विक व्यापार का करीबन 40 फीसदी हिस्सा और वैश्विक जनसंख्या का करीबन आधा भाग होंगे.

हांगकांग से प्रकाशित होने वाला अखबार साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट लिखता है कि “भारत समझौते को अंतिम रूप देने में एक बाधा माना जा रहा है, क्योंकि देश का व्यापार उद्योग समझौते में दिए गए विदेशी उत्पादों को बाजार में अधिक पहुंच और कम टैरिफ का विरोध कर रहा है.”

भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने संसद के बढ़े हुए सत्र का हवाला देते हुए बीजिंग में हुई बैठक में हिस्सा नहीं लिया. भारतीय वाणिज्य सचिव अनूप वाधवान बैठक में गोयल की जगह मौजूद रहे.

बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे वाधवन ने समझौते में भारत को बाधा कहे जाने वाले आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि “यह पूरी तरह बेवकूफी है. सभी देशों के बीच विभिन्न समझौतों के संबंध में चर्चा हो रही है, हां कुछ बाते हैं जिन पर सहमति नहीं बन सकी है. सभी देशों के साथ ये समस्या है. अगर आप इसे नाकारात्मक रूप से देखते हैं तो सभी देश समझौते में बाधा बनने का काम कर रहे हैं.”

वहीं जापान और दक्षिण कोरिया के बीच व्यापार मुद्दों पर मतभेद भी समझौते में बड़ी अड़चन के तौर पर देखा जा रहा है.

बैठक में चीन ने साफ संदेश देने की कोशिश की कि वो साल के अंत तक सभी समझौतों को अंतिम रूप देना चाहता है. जून में जापान के ओसाका में हुई जी-20 देशों की बैठक में चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिग ने इस साल के अंत तक आरसीईपी को अंतिम रूप देने पर प्रतिबंद्धता जाहिर की थी. बीते हफ्ते आसियन प्रमुखों ने भी ऐसी ही प्रतिबद्धता जाहिर की.

हालांकि साल 2011 में व्यापार वार्ता में समझौते को अंतिम रूप ना दिए जा पाने के कारण इसे टाला जाता रहा है. इस संबंध में अब तक 15 मंत्री स्तर की बैठकें, 27 कार्य-स्तर की बातचीत और नेताओं के दो समिट हो चुके हैं.

इस सप्ताहांत में मंत्री स्तर की बैठक से पहले कार्य-स्तर की 27वीं बैठक चीन के शहर झेंगझोऊ हुई. यह 10 दिवसीय बैठक 31 जुलाई को संपन्न हुई.


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