मंदी की ओर बढ़ती अर्थव्यवस्था के जल्द उबरने के संकेत नहीं


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मंदी की ओर बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के फिलहाल बेहतर होने के संकेत नहीं नहीं मिल रहे हैं. प्रमुख आठ आर्थिक संकेतकों के अध्ययन के बाद ब्लूमबर्ग न्यूज ने पाया कि इनमें से दो सूचक कमजोर बने हुए हैं जबकि अन्य पांच सूचकों में भी तेजी आती हुई नहीं दिख रही है.

कारों की बिक्री में अगस्त महीने में भी गिरावट जारी रही वहीं बैंकों के ऋण में कमी आई है जो ग्राहकों के खर्चों में आई कमी को दिखाता है.

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5 फीसदी रही. ये छह वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पंहुच गई, जिसके बाद सरकार ने बीते हफ्तों में सिलसिलेवार तरीके से अलग-अलग एलान किए. बीते दिनों वित्त मंत्री ने हाउसिंग क्षेत्र को सुस्ती से उबारने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की.

इसके बाद सरकार ने बैंकों से कहा कि वे मार्च, 2020 तक सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के दबाव वाले कर्ज को नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित नहीं करें.

ऐसे में मौजूदा आंकड़ों को देखने के बाद यही माना जा रहा है कि आने वाले समय में सरकार अन्य घोषणाओं के साथ सामने आ सकती है.

व्यापार गतिविधियां-

मई की तुलना में अगस्त में निजी क्षेत्र में गतिविधियां कमजोर पड़ी, जो नए व्यापारों में सुस्ती का सूचक है. मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र में कमजोरी का प्रभाव क्रय प्रबंधकों के सर्वेक्षण में दिखा. बीते महीने सेवा और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में इनपुट कॉस्ट बढ़ गई, हालांकि बिक्री को बढ़ाने की कोशिशों के बीच मैन्युफैक्चरर ने उत्पादों के दाम नहीं बढ़ाए.

कीमतों में नरमी के चलते आरबीआई संभवतः आगे आने वाले समय में मौद्रिक नीति में नरम रुख बरकरार रखेगा. ब्याज दर में कुल मिलाकर चार बार में अब तक 110 आधार अंकों की कमी की जा चुकी है.

निर्यात

देश का निर्यात कारोबार अगस्त माह में 6.05 प्रतिशत घटकर 26.13 अरब डॉलर रह गया. जुलाई में निर्यात में 2.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी.

आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा वैश्विक व्यापार में प्रतिकूल प्रभाव के चलते हुआ. इस दौरान आयात भी एक साल पहले के इसी माह के मुकाबले 13.45 प्रतिशत घटकर 39.58 अरब डॉलर और व्यापार घाटा भी कम होकर 13.45 अरब डॉलर रहा.

कमजोर घरेलू मांग के चलते आयात में कमी आई है.

उपभोक्ता गतिविधि-

ग्राहकों के खर्च में कमी आई है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी यही तस्वीर है. बाजार शोधकर्ता नीलसन ने अपनी हालिया रिपोर्ट में 2019 के लिए उपभोक्ता माल क्षेत्र की अनुमानित विकास दर घटाकर 9-10 फीसदी कर दी. पहले अनुमान में 11-12 फीसदी विकास की बात कही गई थी.

घटती विकास दर और नौकरी जाने के डर के बीच शहरी उपभोक्ताओं के खर्च में भी कटौती देखने को मिली है.

औद्योगिक गतिविधि-

बीते साल जुलाई की तुलना में इस साल जुलाई में प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योगों के उत्पादन में 2.1 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. ये उद्योग देश का 40 फीसदी औद्योगिक उत्पादन करते हैं. सीमेंट और स्टील उत्पादन के विकास में जहां बेहतरी देखने को मिला वहीं कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और रिफाइनरी उत्पादों का उत्पादन घटा है.

जून के बाद जुलाई में औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोतरी दर्ज की गई. जून में यह 1.2 फीसदी था जो जुलाई में बढ़कर 4.3 फीसदी हो गया. वहीं पूंजीगत माल के उत्पादन में लगातार तीसरे महीने भी गिरावट जारी रही. औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े एक महीने की देरी से प्रकाशित किए गए हैं.


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