भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों का साथ नहीं देना चाहिए था: ईरान


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ईरान ने कहा है कि भारत को अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों का साथ नहीं देना चाहिए था.

भारत में ईरान के राजदूत अली चेग्नेई ने कहा,“अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से भारत का ईरान से तेल ना लेने का फैसला भारत-ईरान के द्विपक्षीय व्यापार और चाबहार बंदरगाह में भारत के भविष्य को नुकसान पहुंचा रहा है.”

अली चेग्नेई ने आगे कहा, “भारत ने अपनी स्वतंत्रता के लिए कड़ी लड़ाई लड़ी है और उसे अमेरिका के मनमाने निर्णय का साथ नहीं देना चाहिए था.”

उन्होंने कहा,“यह अब पूरी तरह से साफ है कि भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों का हवाला देकर आधिकारिक तौर पर ईरान से तेल का आयात बंद कर दिया है.”

चीन, रूस और तुर्की अभी भी ईरान के साथ ऊर्जा के क्षेत्र में व्यावसायिक संबंध बनाए हुए हैं.

इस पर जोर देते हुए अली चेग्नेई ने कहा, “यदि भारत की तरफ से तेल का भुगतान नहीं होगा, तो हम भी भारत से कुछ कैसे खरीदेंगे. यह भारत का संप्रभु फैसला है, लेकिन कई दूसरे देशों ने इससे इतर फैसला लिया है.”

ईरानी राजदूत की चाबहार बंदरगाह को लेकर की गई टिप्पणी भारत के लिए चिंतित करने वाली है.

असल में 2016 से भारत चाबहार बंदरगाह में शाहिद बेहेस्ती टर्मिनल के निर्माण में लगा हुआ है. यह टर्मिनल पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया से भारत के संपर्क और व्यापार का प्रमुख हिस्सा है.

अली चेग्नेई ने कहा, “चाबहार में भारत बहुत धीमे काम कर रहा है. भारत चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान की सीमा पर जहेदान से जोड़ने वाली रेल लाइन के निर्माण में बहुत वक्त लगा रहा है. इसलिए ईरान की सरकार ने निर्णय लिया है कि वो 2021 तक अपने संसाधनों से खुद इसका निर्माण करेगी.”

उन्होंने आगे कहा, “ईरान चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर के रास्ते चीन तक एक एलएनजी पाइपलाइन बिछाने पर विचार कर रहा है क्योंकि भारत से यह अपेक्षा नहीं की जा रही है कि वो ईरान से होने वाले एलएनजी आयात को बनाए रखेगा.”

अली चेग्नई ने आगे कहा,“ऊर्जा के क्षेत्र में यदि भारत सुरक्षा चाहता है, तो हम उसके लिए भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता हैं. हम भारत के लोगों से प्यार करते हैं, लेकिन हम किसी को हमें प्यार करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं. भारतीय सरकार ने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर फैसला लिया है. ठीक इसी तरह चीन ने भी फैसला लिया है.”


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