व्यापार नीतियों पर भारत-अमेरिका में तकरार जारी, समझौता होने की आशा


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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने आशा जताई है कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौता जल्द होगा, लेकिन भारत की नई ई-कॉमर्स नीति को लेकर दोनों देशों के बीच तकरार जारी है.

अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने कहा, ‘‘किसी भी सरकार ने यह नहीं कहा है कि पांच मिनट में व्यापार समझौता हो जाएगा. हमने तो नहीं कहा, ना ही (वाणिज्य) मंत्री पीयूष गोयल ने कहा. तो मुझे लगता है कि यह सब अटकलें हैं. फिर भी हमारा मानना है कि ऐसी कोई बुनियादी समस्या नहीं है कि तेजी से कोई समझौता नहीं हो सकता. हम दोनों एक दूसरे के मुद्दों से भली भांति वाकिफ हैं.’’

वहीं पीयूष गोयल ने कहा, “हां, केवल एक बार के आदान प्रदान से ही व्यापार की दिशा तय नहीं हो जाती है. व्यापार के मामले में भूत, वर्तमान और भविष्य, राजनीतिक गतिविधि, स्थानीय मुद्दे, दीर्घकालिक मुद्दे, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय प्रतिबद्धतायें देखनी होती हैं. इसलिये यह बहुत जटिल कहानी है और इस जटिलता में हम काफी बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं.”

असल में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध पिछले कुछ समय से सही नहीं चल रहे हैं. अमेरिका ने भारतीय निर्यातकों को 6 बिलियन डॉलर का फायदा पहुंचाने वाला शून्य आयात शुल्क हटा लिया था. जवाबी कार्रवाई में भारत ने भी अमेरिका से आने वाले 29 उत्पादों पर आयात शुल्क लगा दिया था.

अमेरिकी प्रशासन और कंपनियों का मानना है कि हाल ही में भारत में हुए नियामक परिवर्तन विदेशी कंपनियों के ऊपर घरेलू कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाले हैं. इससे अमेरिकी कंपनियों की निवेश करने की योजनाओं में खलल पड़ा है.

फरवरी में ई-कॉमर्स सेक्टर में निवेश के नए नियम लागू होने के बाद अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों को भारत में बने रहने के लिए अपने व्यापार करने के तरीके को बदलना पड़ा है.

भारत के नए ई-कॉमर्स नियम छोटे व्यापारियों को संरक्षण देने और बड़े ऑनलाइन विक्रेताओं को बड़ा डिस्काउंट देकर ग्राहकों को आकर्षित करने से रोकने के लिए बनाए गए हैं.

पीयूष गोयल ने इन नियमों का बचाव करते हुए कहा कि सरकार छोटे व्यापारियों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकती है और सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को इन नियमों का पालन करना पड़ेगा.

वहीं विल्बर रॉस ने कहा कि इन नियमों से भारत में अमेजन और वालमार्ट की वृद्धि में सुस्ती आई है. उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए अमेजन और वालमार्ट का बचाव किया.

अमेरिका भारत के साथ अपने 16.9 बिलियन डॉलर के व्यापार घाटे की बात भी उठा रहा. यह चीन के साथ अमेरिका के व्यापार घाटे 419 बिलियन डॉलर के मुकाबले बहुत कम है. लेकिन अमेरिका ने साफ कह दिया है कि संरक्षणवाद के चलते व्यापार घाटा चाहे बड़ा हो या छोटा, अमेरिका इसे सही नहीं मानता है.


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