अमेरिकी कोर्ट में नेओमी राव की नियुक्ति का हो रहा विरोध
कोलंबिया सर्किट डिस्ट्रिक्ट की ताकतवर अमेरिकी ‘कोर्ट ऑफ अपील्स’ के लिए नेओमी राव के नामांकन का डेमोक्रेटिक पार्टी विरोध कर रही है. इस विरोध की अगुआई करने वाली दोनों अमेरिकी महिलाएं भारतीय मूल की हैं.
इसके लिए उन्होंने यौन उत्पीड़न को लेकर दिए गए राव के “बहानों” और नागरिक एवं मानवाधिकारों के प्रति उनके “विरोध” का हवाला दिया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में दीपावली के जश्न के दौरान राव के नामांकन की घोषणा की थी. ट्रंप ने जस्टिस ब्रेट कावनाह की जगह राव को नामित किया था. जिन्होंने अक्टूबर में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली थी.
भारतीय-अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने कहा, “नेओमी राव ने यौन उत्पीड़न को लेकर बहाने किए हैं, प्रजनन स्वास्थ्य तक महिलाओं की पहुंच को बाधित किया है और वह स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को एलजीबीटीक्यू समुदाय के मरीजों को सेवा देने से इनकार करने की अनुमति दे सकती हैं.”
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में चुनी गईं पहली भारतीय-अमेरिकी महिला जयपाल ने कहा, “संघीय पीठ के लिए काम करने की इच्छा रखने वाले किसी व्यक्ति के लिए यह कहीं से भी उचित नहीं है.’’
उन्होंने सोमवार को कहा कि संसद की न्यायिक समिति को राव को “खारिज करना” चाहिए.
अमेरिकी सीनेट से पुष्टि होने पर 45 वर्षीय राव इस शक्तिशाली अदालत में श्रीनिवासन के बाद दूसरी भारतीय-अमेरिकी होंगी. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के बाद यह दूसरे नंबर की सबसे अहम अदालत है.
हालांकि श्रीनिवासन की नामांकन प्रक्रिया के दौरान पूरा भारतीय-अमेरिकी समुदाय एकजुट था और उनके नाम की पुष्टि के लिए आक्रामक रूप से प्रचार कर रहा था. इस बार स्थिति बिल्कुल उलट है.
मंगलवार को राव अपने नाम की पुष्टि के लिए होने वाली बहस में संसद की न्यायिक समिति के समक्ष पेश होंगी. समझा जाता है कि उन्हें भारतीय मूल की सीनेटर कमला हैरिस सहित सीनेट की न्यायिक समिति के डेमोक्रेटिक सदस्यों के कड़े सवालों का सामना करना पड़ सकता है.