नफरत की राजनीति को हराने के लिए 200 से अधिक बुद्धिजीवियों की अपील
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर देश के 200 से अधिक बुद्धिजीवी और लेखकों ने जनता से अपील की है. उन्होंने अपील की है कि आगामी लोकसभा चुनाव में अपने विवेक का इस्तेमाल कर एक सेक्युलर और प्रगतिशील सरकार को चुने.
लेखकों और बुद्धिजीवियों की अपील
आने वाले चुनावों में हमारा देश एक दोराहे पर खड़ा है. हमारा संविधान यह सुनिश्चित करता है कि देश के सभी नागरिकों को सामान अधिकार, अपनी मर्ज़ी से खाने-पीने, पूजा-अर्चना करने की आज़ादी मिले, अभिव्यक्ति की आजादी और असहमति जताने का अधिकार मिले. लेकिन पिछले कुछ सालों से हम देख रहे हैं कि कई नागरिक भीड़ की हिंसा में मारे गए, घायल हुए या उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा और यह सब सिर्फ़ इसलिए कि वे किसी विशेष समुदाय, जाति, लिंग या क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं.
नफ़रत की राजनीति का इस्तेमाल कर देश को बांटा जा रहा है; डर फैलाया जा रहा है; और ज्यादा से ज्यादा लोगों को पूर्ण नागरिक के तौर पर जीने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है. लेखकों, कलाकारों, फिल्म-निर्माताओं, संगीतकारों और अन्य संस्कृतिकर्मियों को धमकाया, डराया और सेंसर किया जा रहा है. जो भी सत्ता पर सवाल उठा रहा है, वह उत्पीड़न या झूठे व बेहूदा आरोपों पर गिरफ़्तारी के खतरे को झेल रहा है.
हम चाहते हैं कि यह स्थिति बदले. हम नहीं चाहते कि तर्कवादियों, लेखकों और कलाकारों को सताया जाए या मार दिया जाए. हम चाहते हैं कि महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ मौखिक या शारीरिक हिंसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए. हम चाहते हैं कि सबको आगे बढ़ने के सामान अवसर दिए जाएं और रोजगार, शिक्षा, शोध तथा स्वास्थ्य के क्षेत्रों की बेहतरी के लिए संसाधन व कदम उठाये जाएं. और इन सबसे ज्यादा, हम अपनी विविधता को बचाना और लोकतंत्र को फलते-फूलते देखना चाहते हैं.
हम यह सब कैसे कर सकते हैं? हम कैसे वे बदलाव ला सकते हैं जिनकी हमें सख्त जरूरत है? ऐसे बहुत से कदम हैं जो हम उठा सकते हैं और हमें उठाने चाहिए. लेकिन एक महत्वपूर्ण कदम है जो हमें सबसे पहले उठाना है.
यह पहला कदम है कि हम नफरत की राजनीति के खिलाफ वोट करें और ऐसा करने का मौका हमें बहुत जल्द ही मिल रहा है. हम लोगों को बांटने के खिलाफ वोट करें; असमानता के खिलाफ वोट करें; हिंसा, डर और सेंसरशिप के खिलाफ वोट करें. सिर्फ यही एक रास्ता है जिससे हम एक ऐसा भारत बना सकते हैं जो संविधान में किए वायदों के लिए प्रतिबद्ध हो. इसलिए हम सभी नागरिकों से अपील करते हैं कि वे एक विविधतापूर्ण और सामान भारत के लिए वोट करें.