विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में सुस्ती के संकेत


industrial output decline by 1.1 percent in august

 

भारतीय विनिर्माण उद्योग की वृद्धि दर बीते दिसंबर महीने में सुस्त रही. इस दौरान उत्पादन में कमी दर्ज की गई. ये हालात तब हैं, जबकि विनिर्माण कंपनियों की ओर से कीमतों में कमी की गई है. ये बात ‘निक्केई मैनुफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई)’ के एक सर्वे से सामने आई है.

इस सर्वे के मुताबिक दिसंबर महीने में विनिर्माण क्षेत्र की रेटिंग 53.2 अंक रही, जबकि नवंबर में ये 54.0 था. दरअसल 50 से अधिक रेटिंग वृद्धि का संकेत देती है. जबकि इससे नीचे आने पर विनिर्माण क्षेत्र के सिकुड़ने का रुझान मिलता है.

हालांकि इससे पहले बीते 17 महीनों में भारत की रेटिंग लगातार 50 से ऊपर ही रही है. ‘आईएएस मार्किट’ के मुख्य अर्थशास्त्री पोलियाना डे लिमा ने बताया कि दिसंबर के आंकड़ों को छोड़ दें तो बीते साल भर भारत की रेटिंग अच्छी ही रही.

विशेषज्ञों के मुताबिक उत्पादन वृद्धि सुस्त रहने के पीछे महंगाई दर का कम रहना मुख्य कारण है. इसी के साथ ही दिसंबर में बीते इनपुट लागत में काफी कमी दर्ज की गई. ये कमी पिछले तीन सालों में सबसे कम थी. यही कारण रहा कि कंपनियों ने जुलाई 2017 के बाद पहली बार कीमतों में कटौती की.

बीते नवंबर महीने में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स( उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) पिछले 17 महीनों के सबसे निचले स्तर पर जा पहुंचा. इस दौरान यह 2.33 फीसदी रहा, जो कि रिजर्व बैंक के निर्धारित लक्ष्य (4 फीसदी) से काफी नीचे था.

बीती तिमाही की तरह अगर मंहगाई दर आगे भी निचले स्तर पर बनी रहती है तो रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में कमी ला सकती है.


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