चीन एक बार फिर से भारत की एनएसजी सदस्यता में लगाएगा रोड़े
चीन ने कहा कि अस्ताना में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की बैठक में भारत की सदस्यता का मुद्दा एजेंडे में नहीं है. साथ ही, उसने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को इसमें शामिल करने के विषय पर सदस्य देशों के एक आम राय पर पहुंचने की कोई समय सीमा देने से इनकार कर दिया है.
चीन ने 48 सदस्यीय एनएसजी में भारत के प्रवेश को बार-बार बाधित किया है. यह समूह वैश्विक परमाणु कारोबार का नियमन करता है.
मई 2016 में एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत के अर्जी देने के बाद से चीन इस बात पर जोर देता रहा है कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करने वाले देशों को ही एनएसजी में प्रवेश की इजाजत दी जानी चाहिए.
भारत और पाकिस्तान ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है. हालांकि, भारत के अर्जी देने पर 2016 में पाकिस्तान ने भी एनएसजी की सदस्यता की अर्जी लगा दी.
एनएसजी में भारत के प्रवेश पर चीन के रुख में कोई बदलाव होने से जुड़े सवालों पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि जिन देशों ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है, उन्हें किसी विशेष योजना तक पहुंचे बगैर एनएसजी में शामिल करने पर कोई चर्चा नहीं की जाएगी.
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए भारत को शामिल किए जाने पर कोई चर्चा नहीं होगी.’’
लु ने यह भी कहा कि चीन एनएसजी में भारत के प्रवेश को नहीं रोक रहा है और यह दोहराया कि बीजिंग का यह रुख है कि एनएसजी के नियम एवं प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए.
कजाकिस्तान के अस्ताना में 20-21 जून को एनएसजी की पूर्ण बैठक हो रही है.
लु ने कहा, ‘‘…जहां तक मैं जानता हूं यह पूर्ण बैठक हो रही है और एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों की भागीदारी तथा उससे जुड़े राजनीतिक एवं कानूनी मुद्दों पर चर्चा होगी.’’
उन्होंने कहा कि किसी विशेष योजना तक पहुंचने से पहले, एनएसजी एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों की भागीदारी पर चर्चा नहीं करेगी. इसलिए, भारत की भागीदारी पर कोई चर्चा नहीं होगी.