केंद्र ने कम्प्यूटरों की निगरानी को ठहराया जायज


we are not a trial court can not assume jurisdiction for every flare up in country

 

कंप्यूटर निगरानी मामले में केंद्र ने अपने आदेश का पक्ष लेते हुए कहा कि यह ‘‘देश के वाजिब हित में है’’ और ‘‘आतंकवाद’’ जैसे खतरों से निपटने के लिए जरूरी है. यह बात केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर दिए गए अपने जवाब में लिखी है.  केंद्र ने कहा है कि इस आदेश से निजता के अधिकार का हनन नहीं होता है.

सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में दाखिल अपने हलफनामे में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन जनहित याचिकाओं को खारिज करने की मांग की जिनमें केंद्र की 20 दिसंबर 2018 की एक अधिसूचना को चुनौती दी गई है. इस अधिसूचना में सरकार की ओर से 10 केंद्रीय एजेंसियों को अधिकार दिए गए थे कि वे सभी के कंप्यूटर में मौजूद डेटा पर नजर रख सके. हांलाकि सरकार ने अपने पक्ष साफ करते हुए कहा था कि कंप्यूटरों की निगरानी ‘‘किसी अधिकृत एजेंसी’’ की ओर से ही की जाएगी.

गृह मंत्रालय ने अपने आदेश का बचाव करते हुए कहा, ‘‘आतंकवाद, कट्टरता, सीमा पार आतंकवाद, साइबर अपराध, संगठित अपराध, मादक पदार्थों के गिरोहों से देश के सामने मौजूद खतरों को कम करके नहीं आंका जा सकता और न ही इनकी अनदेखी की जा सकती है. राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने मौजूद खतरों से मुकाबले के लिए सिग्नल इंटेलिजेंस सहित कार्रवाई किए जाने लायक ठोस खुफिया सूचनाएं समय पर इकट्ठा करना बहुत जरूरी है.’’

सरकार ने कहा, ‘‘इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यह देश का वाजिब हित है. लिहाजा, यह जरूरी है कि कानूनी इंटरसेप्शन (निगरानी) के अनुरोध का मामला कार्यपालिका अधिकारियों द्वारा देखा जाना चाहिए ताकि फैसले लेने में गति और तत्परता बरकरार रखी जा सके.’’

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 14 जनवरी को केंद्र को नोटिस जारी किया था. अदालत आज इस मामले पर सुनवाई नहीं कर सकी क्योंकि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई अपने रिश्तेदार और दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वाल्मिकी मेहता के अचानक निधन के कारण अनुपलब्ध थे.

गृह मंत्रालय की अधिसूचना में 10 एजेंसियों को कम्प्यूटर की निगरानी करने, उसकी जांच, उसमें मौजूद डेटा, सूचनाएं और दस्तावेज़ आदि को हासिल करने, फोन या अन्य कम्प्यूटर स्रोत में जमा कोई भी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया गया था.

जिन एजेंसियों को ये अधिकार दिए गए, उनमें खुफिया ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व खुफिया निदेशालय, सीबीआई, एनआईए, कैबिनेट सचिवालय और सिग्नल खुफिया निदेशालय और दिल्ली पुलिस आयुक्त शामिल हैं.


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