केवल चार महीनों में निवेशकों को 17.6 खरब रुपये का नुकसान
वैश्विक और घरेलू दोनों तरफ से मिलीजुली विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहे भारतीय स्टॉक्स तीन जून के बाद 10 प्रतिशत से भी अधिक नीचे गिर चुके हैं. इससे केवल चार महीनों में निवेशकों को 17.6 खरब रुपये का नुकसान हुआ है.
अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दरों में कम कटौती और घरेलू अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत के मद्देनजर 19 सितंबर को बीएसई इंडेक्स ने 470.41 प्वाइंट खो दिए. वहीं निफ्टी ने भी 135.85 प्वाइंट खो दिए.
साल 2019 के पिछले चार सत्रों में अकेले सेंसेक्स 3.4 प्रतिशत प्वाइंट खो चुका है, वहीं निफ्टी 1.59 प्रतिशत नीचे गिर चुका है. हालांकि, अब सेसेंक्स तीन जून के अपने सर्वोच्च स्तर 40,312.07 से 10.5 प्रतिशत नीचे गिर चुका है. वहीं निफ्टी भी अपने सर्वोच्च स्तर 12,103.05 से 11.6 प्रतिशत नीचे है. भारतीय कंपनियों की वर्तमान मार्केट वैल्यू 138.54 खरब रुपये है.
विश्लेषकों का मानना है कि स्टॉक्स में आई यह हालिया भारी कमी आर्थिक मंदी से छुटकारा पाने के लिए उठाए जाने वाले बड़े कदमों की राह तक रहे व्यवसायियों के बीच व्याप्त अनिश्चितता की वजह से है. वहीं निवेशक भी लगातार धीमी पड़ती जा रही खपत की मांग और टैक्स में कमी की वजह से चिंतित हैं.
कोटक महिंद्रा असेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड की हेड इक्विटी रिसर्च शिबानी कुरियन ने कहा, “चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध के चलते वैश्विक परिदृश्य पर अनिश्चितता उत्पन्न हुई और इसका प्रभाव बाजार पर पड़ा है. अमेरिकी फेडरल बैंक की तरफ से ब्याज दरों में कटौती की गति और कम होने के आसार हैं.”
उन्होंने आगे कहा कि अनिश्चितता की यह स्थित बस थोड़े समय के लिए ही है, लंबे समय में बहुत सारे अवसर हैं.
वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी अर्थव्यवस्था हाल में मजबूत हुई है. इससे अमेरिकी फेडरल बैंक की तरफ ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश कम हो गई है. ये भारत जैसे उभर रहे बाजारों के लिए अच्छी खबर नहीं है. हालांकि, फेडरल बैंक के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने बाद में कहा कि यदि अर्थव्यवस्था कमजोर होती है तो वे ब्याज दरों में कटौती करेंगे.