ईरान ने अमेरिकी प्रतिबंधों से राहत के लिए परमाणु सौदे की शर्तों का अनुपालन रोका


iran will partly withdraw from nuclear deal

 

ईरान ने बुधवार को कहा कि उसने 2015 के समझौते में उसकी परमाणु गतिविधियों को लेकर तय हुई शर्तों का अनुपालन तब तक के लिए रोक दिया है जब तक कि वह नए सिरे से लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों से बाहर निकलने का तरीका नहीं तलाश लेता.

बड़े पैमाने पर प्रचारित यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब अमेरिका ने ईरान पर निकट भविष्य में हमले करने के अपने आरोपों को दोहराना शुरू कर दिया है और क्षेत्र में विमान वाहक युद्धपोत की तैनाती कर दी है.

ईरान ने कहा कि उसकी यह प्रतिक्रिया एकपक्षीय प्रतिबंधों को लेकर है जो अमेरिका एक साल पहले सौदे से अलग होने के बाद से अंधाधुंध लगाता जा रहा है. इन प्रतिबंधों ने ईरान की अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है.

उसने कहा है कि वह कुछ प्रतिबंधों को तत्काल प्रभाव से लागू करना बंद कर रहा है जिन पर उसने सहमति जताई थी.

ईरान ने कहा है कि वह और शर्तों का पालन भी रोक देगा अगर समझौते के शेष बचे पक्ष – ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी एवं रूस 60 दिनों के भीतर प्रतिबंधों से राहत दिलाने की अपनी प्रतिबद्धता पर काम शुरू नहीं करते.

राष्ट्रपति हसन रूहानी ने रेखांकित किया कि यह समय सीमा देने की मंशा परमाणु सौदे को उनके अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप से बचाने की है जो आठ मई, 2018 से इससे बाहर होने के बाद से बार-बार इसे रद्द करने की बात कहते रहे हैं.

रूहानी ने कैबिनेट की एक बैठक में कहा, “हमें लगता है कि परमाणु समझौते में सुधार किए जाने की जरूरत है और पिछले साल किए गए उपाय प्रभावहीन रहे हैं. ये सुधार समझौते को बचाने के लिए है न कि उसे समाप्त करने के लिए.”

रूस के आधिकारिक दौरे पर गए विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने कहा कि ईरान की कार्रवाई परमाणु सौदे का उल्लंघन नहीं करती. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षकों ने बार-बार कहा है कि ईरान इस सौदे का अनुपालन करता है.

जरीफ ने सरकारी टीवी चैनल से कहा, “हम जेसीपीओए (परमाणु सौदे) से हट कर काम नहीं कर रहे बल्कि इसके ढांचे के तहत ही काम कर रहे हैं.”

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की सहमति से हुए इस ऐतिहासिक समझौते के तहत सौदे के पक्षों को ईरान पर परमाणु संबंधित प्रतिबंध हटाने थे. इसके बदले में वह अपनी उन गतिविधियों पर लगाम लगाता जिनको लेकर डर था कि वह परमाणु बम बनाने की क्षमता प्रदर्शित करना चाहता है.

हालांकि, प्रतिबंधों से राहत के वादे पर अमल नहीं किया जा सका क्योंकि यूरोपीय एवं एशियन बैंकों तथा तेल कंपनियों को अमेरिका की ओर से पुन: लगाए गए प्रतिबंधों का पालन करने के लिए बाध्य होना पड़ा जिन्हें वित्तीय एवं वाणिज्यिक प्रतिक्रिया की आशंका थी.

रूहानी ने अमेरिका को विश्व के ‘प्रधान’ के तौर पर देखने के लिए यूरोपीय देशों को फटकार भी लगाई और कहा कि इससे वह ‘अपने स्वयं के राष्ट्रीय हितों पर कड़े फैसले’ नहीं ले पाते हैं.

सौदे में तीन यूरोपीय साझेदारों – ब्रिटेन, फ्रांस एवं जर्मनी ने इस सौदे को व्यापार प्रणाली के जरिए बचाने की कोशिश की लेकिन ईरान के शीर्ष नेता अयातुल्ला अली खामेनी ने इसे ‘कड़वा मजाक’ बता कर खारिज कर दिया.

चीन ने रेखांकित किया कि वह अमेरिका की ओर से ईरान पर लगाए गए एकपक्षीय प्रतिबंधों का सख्ती से विरोध करता है लेकिन परमाणु सौदे को बरकरार रखने के लिए सभी पक्षों से अपील की.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “समग्र समझौते को बरकरार रखना और लागू करना सभी पक्षों की साझा जिम्मेदारी है.”

रूस ने कहा कि वह परमाणु सौदे के प्रति प्रतिबद्ध है और ईरान पर लगाए गए “अकारण दवाब” की निंदा की.

वहीं इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रतिबद्धता जताई कि वह ईरान को परमाणु हथियार अर्जित नहीं करने देंगे.

उन्होंने हर्ब्यू में कहा, “आज सुबह यहां आते वक्त मैंने सुना कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को जारी रखने की मंशा रखता है.”

नेतन्याहू ने कहा, “हमें ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देना चाहिए.”

क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने कहा कि राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन सौदे के प्रति प्रतिबद्ध हैं और इस वक्त सौदे का कोई विकल्प नहीं है.


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