के सिवन की ’98 फीसदी सफलता’ की टिप्पणी हास्यास्पद: विशेषज्ञ


isro senior scientists find Sivan’s ‘98% success’ remark laughable

 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के सिवन ने 21 सितंबर को कहा था कि चंद्रयान-2 मिशन में 98 फीसदी कामयाबी मिली है. उन्होंने अपनी बात में ऑर्बिटर का हवाला दिया था.

सिवन की इस टिप्पणी के बाद कुछ वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने सिवन के दावे को चुनौती दी है. एक वैज्ञानिक ने सोशल मीडिया पर उनके नेतृत्व और रॉकेट विज्ञान पर टिप्पणी भी की है.

एक वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने कहा है कि बिना किसी गहन निरीक्षण के किए गए दावे हमें दुनिया के सामने हंसी का पात्र बनाते हैं.

इसरो के सूत्रों ने बताया है कि चांद की सतह पर उतरने वाला लैंडर “विक्रम” शायद तेज रफ्तार के साथ दुर्घटना का शिकार हो गया है जो अब कभी भी नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि चांद पर उतरना इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य था.

इसरो अध्यक्ष के सलाहकार तपन मिश्रा ने 22 सितंबर को एक सोशल मीडिया पोस्ट में के सिवन का नाम लिए बगैर उनके नेतृत्व पर टिप्पणी की थी. उन्होंने लिखा था, “नेता प्रेरणा देते हैं, वे प्रबंधन नहीं करते हैं.”

इसरो के अध्यक्ष पद पर सिवन के आने के बाद तपन मिश्रा को हैदराबाद के स्पेस एप्लीकेशन केंद्र के निदेशक के पद से हटा दिया गया था.

सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा, “जब आप देखते हैं कि अचानक नियमों के पालन करने को लेकर जोर दिया जाने लगा है, अचानक कागजी कार्यवाई बढ़ गई है, लगातार बैठकें हो रही हैं, ऐसी चर्चाएं हो रही हैं जिससे कोई ठोस नतीजा नहीं निकल रहा है तो ऐसे में आपको पता हो जाता है कि संस्थान का नेतृत्व महज एक वस्तु का रूप ले रहा है. संस्थान समय के साथ विकसित नहीं हो पाते हैं, अगर वे नई-नई खोज करना बंद कर दें. आखिर में वे जीवित जीवाश्म बन जाते हैं, इतिहास के पन्नों में महज फुटनोट बन कर रह जाते हैं.”

चंद्रमां मिशन में विशेषज्ञता रखने वाले एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने नाम ना बताने की शर्त पर अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि मिशन में कुछ तकनीकी गलतियां हुई थीं.

उन्होंने कहा, “अगर इसरो पांच थ्रस्टर की जगह एक थ्रस्टर का इस्तेमाल करता तो तकनीक काफी आसान हो जाती जिससे संभालने में भी आसानी होती. यह पूरी दुनिया में तकनीकी रूप से अपनाया और आजमाया हुआ है.”


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