अयोध्या भूमि विवाद मामले से जमीयत ने मुझे हटाया: राजीव धवन


veteran advocate rajiv dhawan said he was removed from ayodhya case

 

वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. राजीव धवन ने कहा कि उन्हें अस्वस्थ होने जैसे ‘मूर्खतापूर्ण’ आधार पर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद प्रकरण से हटा दिया गया है. डॉ. धवन ने सुप्रीम कोर्ट में इस प्रकरण में मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पैरवी की थी.

इस प्रकरण में शीर्ष अदालत के नौ नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार के लिये मौलाना अरशद मदनी की अध्यक्षता वाले जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की ओर से याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता एजाज मकबूल ने कहा था कि डॉ. धवन को अस्वस्थता की वजह से इस मामले से हटा दिया गया है.

डॉ. राजीव धवन ने इस संबंध में फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी है जिसमें उन्होंने कहा है कि अब इस मामले में पुनर्विचार या किसी अन्य तरह से उनका संबंध नहीं है.

डॉ धवन ने कहा, ”मैंने एकजुटता के साथ सभी मुस्लिम पक्षकारों की ओर से इस मामले में बहस की थी और ऐसा ही चाहूंगा. मुस्लिम पक्षकारों को पहले अपने मतभेद सुलझाने चाहिए.” उन्होंने कहा कि वह मुस्लिम पक्षकारों में दरार नहीं चाहते.

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि अस्वस्थ होने की वजह से उन्हें हटाए जाने के बारे में मकबूल के सार्वजनिक वक्तव्य के बाद ही उन्होंने फेसबुक पर अपनी राय व्यक्त की.

उन्होंने कहा, ”यदि मैं अस्वस्थ हूं तो फिर मैं दूसरे मामलों में यहां न्यायालय में कैसे पेश हो रहा हूं. मुस्लिम पक्षकारों के मसले के प्रति मेरी प्रतिबद्धता है लेकिन इस तरह का बयान पूरी तरह गलत है.”

डॉ. धवन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जमीयत का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता एजाज मकबूल द्वारा उन्हें बाबरी मामले से ‘बर्खास्त’ कर दिया गया है.

उन्होंने लिखा है, ”एओआर (एडवोकेट ऑन रिकार्ड) एजाज मकबूल, जो जमीयत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, द्वारा (मुझे) बाबरी प्रकरण से हटा दिया गया है. किसी आपत्ति के बगैर ही ‘बर्खास्तगी’ स्वीकार करने का औपचारिक पत्र भेज दिया है. पुनर्विचार या इस मामले से अब जुड़ा नहीं हूं.”

धवन ने आगे लिखा है, ”मुझे सूचित किया गया है कि मदनी ने संकेत दिया है कि मुझे इस मामले से हटा दिया गया है क्योंकि मैं अस्वस्थ हूं. यह पूरी तरह बकवास है. उन्हें मुझे हटाने के लिए अपने एओआर एजाज मकबूल को निर्देश देने का अधिकार है जो उन्होंने निर्देशों (मदनी के) पर किया है. लेकिन इसके लिये बताई जा रही वजह सही नहीं है.”

डॉ. धवन ने जमीयत की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर करने वाले एडवोकेट ऑन रिकार्ड एजाज मकबूल को भी दो दिसंबर को अलग से एक पत्र लिखा और इस मामले में पुनर्विचार याचिका तैयार करने से संबंधित पूरे घटनाक्रम का सिलसिलेवार विवरण लिखा.

पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने नौ नवंबर को सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुए केन्द्र को निर्देश दिया था कि अयोध्या में प्रमुख स्थल पर मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाये.

पुनर्विचार याचिका में संविधान पीठ के सर्वसम्मत फैसले पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध करते हुए अयोध्या में प्रमुख स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ का भूखंड आबंटित करने के लिए केन्द्र और उप्र सरकार को न्यायालय के निर्देश पर भी सवाल उठाया गया है.

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता पूरे फैसले और अनेक नतीजों पर पुनर्विचार का अनुरोध नहीं कर रहा है. यह हिन्दुओं के नाम भूमि करने जैसी त्रुटियों तक सीमित है क्योंकि यह एक तरह से बाबरी मस्जिद को नष्ट करने के परमादेश जैसा है और हिन्दू पक्षकारों को इसका अधिकार देते समय कोई भी व्यक्ति इस तरह की अवैधता से लाभ हासिल नहीं कर सकता है.


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