जेएनयू: HC ने अवमानना याचिका मामले में आंदोलनरत छात्रों की जानकारी मांगी


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दिल्ली हाई कोर्ट ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अवमानना की याचिका के मामले में आंदोलनरत छात्रों के बारे में जानकारी नहीं होने पर हैरानी जताई है. जेएनयू प्रशासन ने याचिका दायर कर दावा किया था कि छात्रों ने हाई कोर्ट के नौ अगस्त 2017 के आदेश का ”घोर उल्लंघन” करते हुए प्रशासनिक खंड के 100 मीटर के दायरे में प्रदर्शन किया, जिससे इसका रोजाना का कामकाज प्रभावित हुआ। विश्वविद्यालय का कामकाज 28 अक्टूबर से ही बाधित है.

जस्टिस एके चावला ने विश्वविद्यालय से एक हलफनामा दायर करने को कहा है. इसमें उन छात्रों के पाठ्यक्रम, उसकी स्थिति और परिसर में उनके रहने की अवधि की जानकारी देने को कहा गया है जिनके खिलाफ अवमानना की याचिका दायर की गई है.

अदालत मामले पर सुनवाई 20 दिसंबर को करेगी.

हाई कोर्ट ने कहा, यह ‘हैरानी’ की बात है कि जेएनयू को उन आंदोलनरत छात्रों के बारे में कोई जानकारी नहीं है जिनके खिलाफ उसने अवमानना की याचिका दायर की है.’

दिल्ली हाई कोर्ट ने जेएनयू से कहा कि वह उन छात्रों की शैक्षणिक जानकारी देने वाला हलफनामा दायर करे, जिनके खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई है.

संस्कृत, मैनेजमेंट और कुछ अन्य विभागों को छोड़कर विश्वविद्यालय के छात्र सेमेस्टर परीक्षा का बहिष्कार किया है.

मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने छात्रों को सलाह दी है कि उन्हें सरकार की ओर से छात्रावास शुल्क में दी गई छूट और शैक्षणिक सत्र में हुए नुकसान के मद्देनजर दो हफ्ते की रियायत का लाभ उठाना चाहिए और हड़ताल खत्म कर विश्वविद्यालय में सामान्य हालात बहाल करना चाहिए.

हालांकि, जेएनयू छात्र संघ (जेएनएसयू) अपने इस रुख पर कायम है कि वह पूरी तरह से मांगे नहीं माने जाने तक हड़ताल खत्म नहीं करेगा.

विश्वविद्यालय में करीब एक महीने से प्रदर्शन हो रहा है जबकि प्रशासन ने दो बार बढ़े शुल्क में कटौती की पेशकश की लेकिन छात्रों ने उसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया.


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