जॉनसन एंड जॉनसन अमेरिका में भर रही जुर्माना, भारत में बना रही बहाने


Johnson & Johnson agreed to shell out $1 billion to settle about 6,000 lawsuits in us but in india the contrast is stark

 

जॉनसन एंड जॉनसन अमेरिका में खराब पिनैकल हिप इंप्लांट लगाने के चलते पीड़ितों को एक अरब डॉलर का भुगतान करेगी. कंपनी ने ये बात टेक्सस की एक अदालत के सामने स्वीकार कर ली है. यहां कंपनी के खिलाफ 10 सालों के दौरान 6,000 ऐसे मामले दर्ज हुए हैं जहां मरीजों ने दोषपूर्ण इंप्लांट लगाने की शिकायत की थी. कंपनी ने 2013 में इस उत्पाद को बाजार से हटा लिया था.

लेकिन भारत में हालात इसके विपरीत हैं. जॉनसन एंड जॉनसन भारतीय पीड़ित मरीजों को जुर्माना देने के लिए तैयार नहीं है. यहां कंपनी सरकार के उस आदेश के खिलाफ लड़ रही है, जिसमें कंपनी को इसके दोषपूर्ण एएसआर हिप इंप्लांट के चलते पीड़ित मरीजों को 20 लाख से लेकर एक करोड़ रुपये जुर्माना देने की बात कही गई थी.

एएसआर हिप इंप्लांट इसके पिनैकल इंप्लांट के बाद बाजार में आया था. सिर्फ एएसआर हिप इंप्लांट के मामले में ऐसा नहीं है. कंपनी ने पिनैकल के बारे में भी गहरी चुप्पी साध रखी है.

इंडियन एक्सप्रेस अखबार लिखता है कि कंपनी भारत में पिनैकल इंप्लांट के दोषपूर्ण होने की बात से ही इनकार कर रही है. जबकि मेडिकल रिकॉर्डस कुछ और ही कहते हैं.

अखबार लिखता है कि नवंबर में उसने पाया था कि तीन मरीज दोषपूर्ण पिनैकल हिप इंप्लांट के बुरे प्रभावों को झेल रहे थे. अब चार और ऐसे मरीज सामने आए हैं.

इनमें से तीन मरीजों को ये तक नहीं पता कि उनके शरीर में पिनैकल इंप्लांट लगा हुआ है. इसके अलावा दो मामलों में तो स्पष्ट था कि जॉनसन एंड जॉनसन ने शिकायतों की अनदेखी की है.

अब ये मरीज तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं. उनकी समस्याओं की जड़ में कोबाल्ट-क्रोमियम है, जो इस दोषपूर्ण इंप्लांट से रिस रहा है और उनके शरीर में जा रहा है. इसके चलते इन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. इनके खून में जहरीली धातुएं मिल रही हैं. ये दर्द से जूझ रहे हैं और इनके शारीरिक अंग खराब हो रहे हैं.

अखबार लिखता है कि जब इन मामलों के बारे में जॉनसन एंड जॉनसन से पूछा गया तो उनके प्रवक्ता ने कहा, “इस समय हमारे पास इस मामले में आगे की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.” प्रवक्ता ने अमेरिका के मामले में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

जबकि अमेरिका में जिम्मेदार विभाग को दिए गए दस्तावेजों में कंपनी ने स्वीकार किया है कि पिनैकल से संबंधित मामलों में उत्पाद दायित्व का दावा महत्वपूर्ण हैं. यहां कंपनी ने ये भी माना है कि पिनैकल से संबंधित करीब 10,500 मामले दर्ज हुए हैं.

दूसरी ओर भारत में एएसआर से संबंधित मामलों में सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. इस समिति ने कहा था कि कंपनी 4,000 पीड़ितों को कम से कम 20 लाख रुपये हर्जाने के रूप में दे. सरकार द्वारा गठित एक और समिति ने इन मामलों में हर्जाने की कीमत 1.22 करोड़ रुपये निर्धारित की थी.

साल 2010 में जॉनसन एंड जॉनसन ने दोषपूर्ण एएसआर को वापस ले लिया था. भारत में तो इसको बिना चिकित्सकीय परीक्षण के ही अनुमति दे दी गई थी. अंत में इसने 2013 में पिनैकल को भी बाजार से वापस ले लिया, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था.

ऑल इंडिया ड्रग नेटवर्क की सह-संयोजक मालिनी ऐसोला ने पिनैकल प्रयोगकर्ताओं से संपर्क किया है. वे कहती हैं, “पिनैकल मामले में भी एएसआर की तरह बुरा नियामक इतिहास रहा है. विपरीत प्रभाव होने पर इन दोनों इंप्लांट में फर्क करना मुश्किल है. एएसआर के विपरीत कंपनी ने पिनैकल को खुद से ही मेटल इंप्लांट में प्रयोग करना बंद कर दिया. इस तरह से वे जांच से बच निकले. सरकार को सब पता था कि इंप्लांट दोषपूर्ण है फिर भी इसे जारी रखा गया और सरकार चुप रही.”


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