करतारपुर: तीर्थयात्रियों से सेवा शुल्क की मांग को लेकर आखिरी सौदा टला


kartarpur final deal stalled over service fee from pilgrims

 

पाकिस्तान और भारत जिनके बीच फिलहाल कश्मीर के मुद्दे पर राजनयिक टकराहट चल रही है वह हाल ही में हुए करतार कॉरिडोर मामले में हुई बैठक में भी अपने मतभेद छुपाने में असफल रहे. यह कॉरिडोर नवंबर में खुलने वाला है.

गलियारे के निर्माण और सुगमता के विषय में दोनों देश के प्रतिनिधियों ने अटारी में एक उच्च स्तरीय बैठक की. पाकिस्तान करतारपुर साहिब गलियारे के श्रद्धालुओं की वीजा-मुक्त यात्रा के लिए सहमत है. हालांकि सेवा शुल्क की मांग को लेकर वह अब भी तत्पर है.

गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान गुरुद्वारा के पास राजनयिकों की उपस्थिति को लेकर भी सहमत नहीं हो रहा है. भारत की मांग थी कि श्रद्धालुओं की यात्रा को सुविधाजनक बनाने और मदद के लिए गुरुद्वारे के पास भारतीय राजनयिकों की नियुक्ति हों.

गृह मंत्रालय ने बताया कि पाकिस्तान ने हर दिन 5000 और खास मौकों पर उससे भी ज्यादा श्रद्धालुओं की आवाजाही की अनुमति दी है. पाकिस्तान ने यात्रियों की क्षमता बढ़ाने का भी आश्वासन दिया है.

पाकिस्तान जीरो लाईन पर स्थाई तौर से और फिलहाल अस्थाई तौर पर पुल के निर्माण के लिए राजी हो गया है.

हालांकि, कुछ मामलों में मतभेद की वजह से यह सौदा पक्का नहीं हो पाया है. पाकिस्तान श्रद्धालुओं को गुरुद्वारे की यात्रा करने की अनुमति देने पर सेवा शुल्क की मांग कर रहा है जो गलियारे की आसान और सुगम पहुंच के लिए आसान नहीं है.

यह बैठक भारतीय प्रतिनिधिमंडल की तरफ से गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव और पाकिस्तान प्रतिनिधिमंडल की तरफ से विदेश मंत्रालय के महानिदेशक की उपस्थिति में हुई.

गृह मंत्रालय के अनुसार, गलियारा पूरे साल चालू रहेगा. श्रद्धालु अपनी इच्छानुसार अकेले या समूह में पैदल यात्रा कर सकते है.

दोनों ही पक्ष आपातकालीन मेडिकल और निकासी प्रक्रियाओं के इंतजाम को लेकर सहमत है. सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तानी रेंजर के बीच सीधे बातचीत होगी.

दोनों पक्ष यात्रियों के सुरक्षित आवागमन और वातावरण को तैयार करने के लिए सहमत है. पाकिस्तान ने श्रद्धालुओं के लिए लंगर और प्रसाद बंटवाने के फैसले पर भी सहमति दी है.


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