केरल: कला अकादमी विवादित कार्टून को पुरस्कृत करने के फैसले पर बरकरार


kerala akademi takes unanimous decision to award cartoonist

 

केरल के सर्वोच्च सांस्कृतिक संगठन ‘केरल ललित कला अकादमी’ ने विवादित कार्टून ‘विश्वासम रक्षति’ को पुरस्कृत करने के फैसले को बरकरार रखा है.

अकादमी के अध्यक्ष नेमोम पुष्पराज ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘राज्य सरकार की स्वायत्त संस्कृति-संवर्धन निकाय केरल ललित कला अकादमी के कार्यकारी परिषद और सामान्य परिषद ने पुरस्कार समिति के निर्णय का सम्मान करने के लिए सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है.’

उन्होंने कहा, ‘हमने कानूनी सलाह लेने का भी फैसला किया है. हम जानना चाहते हैं कि क्या कार्टून ने किसी भी तरह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया है.’

कार्टूनिस्ट केके सुभाष अपने इस कार्टून को लेकर विवादों में आ गए थे. उस कार्टून में बिशप फ्रैंको मुलक्कल को दर्शाया गया है. मुलक्कल एक नन के साथ बलात्कार करने के मामले में दोषी हैं.

ईसाई समुदाय के कुछ लोगों ने इस कार्टून का विरोध किया था. उन्हें सबसे ज्यादा गुस्सा मुलक्कल के क्रोजियर में बंधे गुलाबी रंग की बिकिनी पर आया था.

यह कार्टून पिछले साल अक्तूबर में ‘हास्या कैराली’ पत्रिका के कवर पेज पर छपा था. यह एक व्यंग्य पत्रिका है जिसका प्रसार भी काफी कम है. पिछले हफ्ते अकादमी ने सालाना पुरस्कार देने के लिए जब इस कार्टून को चुना उसके बाद से यह चर्चा में आ गई थी.

इसके बाद से ही ईसाई समुदाय इसका और विरोध कर रहे हैं. पादरियों ने भी सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया. सोमवार को पुरस्कार देने की पुष्टि होने के बाद अकादमी के ऑफिस के बाहर भी लोगों ने प्रदर्शन किया.

इस मामले में संस्कृति मंत्री एके बालन ने आकादमी से इस पुरस्कार के बारे में विचार करने का निवेदन किया था. इस पुरस्कार की घोषणा 10 जून को हुई थी.

उन्होंने कहा, ‘सरकार अपनी मांगो को लेकर दृढ़ है. अकादमी को अपने फैसले पर पुन:विचार करना होगा.’

सुभाष से संपर्क करने पर उन्होंने कहा, ‘मैं इसपर कुछ नहीं कहना चाहता हूं. मैं अकादमी के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.’

विरोध होने के बाद केरल कार्टून अकादमी ने इसकी निंदा की. उन्होंने कहा, ‘यह दुख की बात है कि समुदाय कार्टून को खुले दिल से स्वीकार नहीं कर रहे हैं.’

कार्टून अकादमी के सचिव थॉमस एंटनी ने अकादमी के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा,’इस कार्टून को जैसा दिखाया जा रहा है उस लिहाज से यह किसी धर्म का अनादर नहीं कर रहा है. कार्टूनिस्टों को काम करने के लिए स्वतंत्र वातावरण का होना जरुरी है.’

कार्टूनिस्ट और आकादमी के पूर्व सचिव सुधीर नाथ ने भी अकादमी की तारीफ की. उन्होंने कहा, ‘ललित कला अकादमी एक स्वायत्त संस्था है. इसकी सरकार के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है. अकादमी द्वारा लिया गया स्वतंत्र फैसला बिल्कुल सही है.’

उन्होंने सुभाष के लिए कहा, ‘बलात्कार का आरोप लगने के बाद से ही बिशप की खबरें पूरी मीडिया में फैली थी. बाद में उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी. स्वभाविक है कि कार्टूनिस्ट ने उन पर कार्टून बनाया.’

मुलक्कल जालंधर में बिशप थे. उन पर 2014-16 के बीच एक नन से 13 बार बलात्कार करने का आरोप है. उनकी गिरफ्तारी 21 सितंबर को हुई थी.

उनकी गिरफ्तारी के बाद चर्च ने उन्हें जालंधर के बिशप पद से हटा दिया था. इस केस में चार्जशीट अप्रैल में दाखिल की गई थी.


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