सऊदी के साथ भागीदारी मजबूत करने का अमेरिका का संकल्प
पत्रकार खशोगी की हत्या के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब के साथ अपनी भागीदारी को और मजबूत करते हुए उसे एक जरूरी सहयोगी बताया है. लेकिन, आलोचकों का कहना है कि उन्होंने सऊदी पर अमेरिका के रूख को लचर बना दिया है.
ट्रंप ने 21 नवंबर को सऊदी अरब के वली अहद (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान का पत्रकार की हत्या को लेकर बचाव किया जबकि केंद्रीय खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि शासन की ओर से हत्या पर रजामंदी थी.
इस्तांबुल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में खशोगी की हत्या में शहजादे सलमान की दोषसिद्धि उनके लिए कितना मायने रखती है, इस सवाल पर ट्रंप ने कहा, ‘‘हो सकता है वह इसमें शामिल रहे हों या हो सकता है नहीं रहे हों.’’
प्रतिद्वंद्वी ईरान के खिलाफ सऊदी अरब की भूमिका को देखते हुए उन्होंने शायद इसपर जोर दिया हो क्योंकि हथियार सौदे सहित उसका अमेरिका में अरबों डॉलर का निवेश है और वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों पर भी सऊदी का दबदबा माना जाता है.
वाशिंगटन में अरब गल्फ स्टेट्स इन्स्टीट्यूट के अध्ययनकर्ता हुसैन आइबिस ने कहा कि खुफिया, आतंकवाद निरोधी सहयोग और ऊर्जा जैसे क्षेत्र में करार इतना बड़ा है कि इससे बहुत सारे जोखिम भी जुड़े हुए हैं.
उन्होंने कहा कि लेकिन ट्रंप को हथियारों की बिक्री और निवेश जैसे पहलू को इतनी अहमियत नहीं देनी चाहिए कि दूसरी चीजों और न्याय पर वह आंखें मूंद लें.
अमेरिका के लिए मध्यपूर्व के पूर्व वार्ताकार डेविड मिलर ने सीएनएन की वेबसाइट पर लिखा है, ‘‘हमें जितनी बिक्री की जरूरत है उससे ज्यादा सऊदी को अमेरिकी हथियारों और औजारों की जरूरत है.’’