किसान सभा ने की सूखे को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग


Kisan Sabha demanded to declare drought a national calamity

 

अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने अभूतपूर्व सूखे को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के साथ राहत के लिए सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की है. हैदराबाद में 12 से 14 जुलाई को दो दिवसीय एआईकेएस की ऑल इंडिया किसान काउंसिल(एआईकेसी) की बैठक में फसलों का मुआवजा देने, मुफ्त राशन, लोन माफी और मनरेगा के तहत जॉब देने की मांग की गई है.

‘कृषि संकट और मजदूर-किसान सामाजिक सहयोग का योगदान’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में कृषि की वर्तमान स्थिति के बारे में देशभर से आए 300 से अधिक प्रतिनिधियों के बीच चर्चा हुई.

ऑल इंडिया किसान संघर्ष कॉर्डिनेशन कमिटी तीन अगस्त को देश भर से जिला अधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को मेमोरेंडम भेजेगी. जिसमें स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सभी फसलों के लिए लाभकारी मूल्य देने और खरीद सुनिश्चित करने और किसानों के सभी ऋणों को माफ करके कर्ज से मुक्ति के लिए बिल बनाने की मांग की जाएगी.

एआईकेसी की बैठक में अभूतपूर्व सूखे की स्थिति से निपटने में बीजेपी नेतृत्व की केन्द्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों के गैर जिम्मेदारना व्यवहार की आलोचना की गई.

किसान सभा की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि सूखा प्रबंधन 2016 की नियमावली में सूखे से निपटने के लिए केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी को करीब-करीब खत्म कर दिया गया है और नए मानदंड  में इसके लिए राष्ट्रीय आपदा कोष से मुआवजा की व्यवस्था नहीं है.

नई दिल्ली में एक और दो जुलाई को भूमि और वन अधिकार आंदोलनों के राष्ट्रीय परामर्श का आयोजन किया जाएगा. इसके साथ ही वन अधिकार कानून में बदलाव के विरोध में 22 जुलाई को दिल्ली के जंतर मंतर सहित देशव्यापी संयुक्त विरोध प्रदर्शन की योजना है. जिसमें आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच और ऑल इंडिया एग्रीकल्चरल वर्क्स यूनियन के सदस्य भी भाग लेंगे.

किसान सभा ने केन्द्र सरकार के द्वारा श्रम कानूनों में बदलाव का विरोध किया है.

प्रेस नोट में कहा गया है कि व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य सशर्त विधेयक 2019 को 10 जुलाई को केन्द्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. इसमें काम के घंटे को 14 घंटे तक करने का प्रावधान है. अगर यह बिल संसद में पास हो जाता है तो इससे श्रम नियमावली के तहत आने वाले 70 फीसदी मजदूरों के अधिकार छिन जाएंगे और वह मालिक की दया पर आश्रित हो जाएंगे. इसके साथ ही न्यूनतम मजदूरी को घटाकर 178 रुपये प्रति दिन कर दिया गया है.  एआईकेएस विभिन्न मजदूर संगठनों के साथ इसके खिलाफ पांच जुलाई को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहा है.

किसान सभा ने राज्यों के बीच जल विवाद को निपटाने के लिए एकल ट्रिब्यूनल बनाने के निर्णय को जमीनी स्थिति को समझे बिना लिया गया निर्णय करार दिया है. इसके साथ ही किसान सभा ने कावेरी डेल्टा कोल बेड मिथेन प्रोजेक्ट को क्षेत्र के खेती के लिए ‘जानलेवा’ कहा है और खेतों से गुजरने वाले हाई टेंशन पावर लाइन के लिए किराये की मांग की है.

केरल के कृषि मंत्री डॉक्टर थॉमस इसाक ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया. प्रोफेसर वेंकटेंश अथर्य ने की-नोट पढ़ा.


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