भीमा कोरेगांव मामले में आरोपियों को कोर्ट से राहत नहीं


supreme court rejects all review petition in ayodhya verdict

 

भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार सभी पांचों आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है और पांचों आरोपियों को निचली कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल करने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें हाईकोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिनों का अतिरिक्त वक्त देने से इनकार कर दिया था.

महाराष्ट्र सरकार ने 25 अक्टूबर को बॉम्बे हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सरकार की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि अगर हाइकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो हिंसा के मामले में आरोपी तय वक्त में आरोप पत्र दायर न हो पाने के चलते जमानत के हकदार होंगे.

इस मामले में पुणे पुलिस ने जून में कथित माओवादियों संपर्कों के चलते वकील सुरेंद्र गाडलिंग, नागपुर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धवले, कार्यकर्ता महेश राउत और केरल निवासी रोना विल्सन को जून में गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था. पुणे में 31 दिसंबर 2017 को एलगार परिषद सम्मेलन के सिलसिले में इन कार्यकर्ताओं के दफ्तर और घरों पर छापेमारी के बाद इन्हें गिरफ्तार किया गया था.


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