असहमति को देशद्रोह कहना लोकतंत्र की आत्मा पर हमला: जस्टिस चंद्रचूड़


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सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि असमति को ‘देशद्रोह’ और ‘लोकतंत्र विरोधी’ कहने से लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धातों को चोट पहुंचती है.

अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार गुजरात हाई कोर्ट में एक कार्यक्रम को दौरान उन्होंने कहा, ‘एक वैधानिक सरकार जो संवाद करने के लिए कटिबद्ध है, राजनीतिक असहमति को रोक नहीं सकती बल्कि उसका स्वागत करती है. एक सरकार जो कानून के शासन को लेकर प्रतिबद्ध है, यह सुनिश्चित करती है कि असहमति और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को दबाया ना जाए, बल्कि सरकार संवाद के लिए अनुकूल माहौल बनाती है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘कानून के दायरे में एक उदार लोकतंत्र यह सुनिश्चित करता है कि उसके नागरिक खुद को अभिव्यक्त कर सकें. यह अभिव्यक्ति शांतिपूर्ण प्रदर्शनों और वर्तमान कानूनों के खिलाफ असहमति के रूप में भी हो सकती है. इस असहमति को देशद्रोह कहना लोकतंत्र की आत्मा पर हमला करता है.’

जस्टिस चंद्रचूड़ ने असहमति को लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व भी बताया. उन्होंने यह भी कहा कि एक लोकतंत्र की असली परीक्षा तब होती है जब इस बात का पता लगाया जाता है कि वह नागरिकों द्वारा असहमति अभिव्यक्त करने के लिए जगह बनाने के लिए कितना सक्षम है.

उन्होंने कहा कि अपने से भिन्न आवाजों और मतों को दबाना देश की विविधिता के लिए खतरनाक है. उन्होंने कहा कि चुनी हुई सरकारें देश के मूल्यों पर एकाधिकार का दावा नहीं कर सकती हैं.


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