देश में आर्थिक संकट पर वामदलों का विरोध प्रदर्शन


Left parties protest against economic crisis in the country

 

वाम दलों ने देश में गहराते आर्थिक संकट और आम जनजीवन में बढ़ती बदहाली के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

इस मुद्दे पर वामदलों की ओर से दस अक्टूबर को शुरु हुए देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के अंतिम चरण में बुधवार को दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर हुए विरोध प्रदर्शन की अगुवाई सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी और सीपीआई के महासचिव डी राजा ने की.

वामदलों ने देश में बढ़ते आर्थिक संकट और बदहाली के लिए मोदी सरकार की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इन नीतियों के कारण अडानी और अंबानी जैसे कॉरपोरेट घरानों का ही हित साधा जा रहा है.

येचुरी ने कहा कि देश में आर्थिक मंदी और बढ़ती महंगाई मोदी सरकार की गलत नीतियों का ही दुष्परिणाम हैं जिसमें नोटबंदी तथा बिना किसी तैयारी के जीएसटी को लागू करने से अर्थव्यवस्था को अपूर्णीय क्षति का सामना करना पड़ा. भारत की अर्थव्यवस्था पहले से ही बढ़ती बेरोज़गारी, महंगाई, छंटनी और जीवनयापन के मुद्दों से बेहाल थी. मोदी सरकार बढ़ती बेरोजगारी, ठेकेदारी, कम आय और बढ़ती कृषि संकट की समस्याओं से बेखबर बनी हुई है.

प्रदर्शन में आरएसपी से आर एस डागर, सीपीआई(एम-एल) की कविता कृष्णन और सीजीपीआई से संतोष ने भी हिस्सा लिया.

राजा ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि आर्थिक मंदी के नाम पर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट की मार झेल रही जनता के वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए मोदी सरकार छद्म राष्ट्रवाद का इस्तेमाल कर रही है.

इस दौरान वाम नेताओं ने देश भर में वामपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं और जनता से सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ अभियान को अंजाम तक पहुँचाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया.


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