वैज्ञानिक संस्थानों में बहुत कम है एससी/एसटी वर्ग का प्रतिनिधित्व


little representation of sc/st in government funded biotech bodies

 

एक आरटीआई से सामने आया है कि बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा वित्तपोषित वैज्ञानिक संस्थानों में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) से संबंधित वैज्ञानिकों की संख्या बहुत कम है.

इनमें से अधिकतर संस्थानों में सरकार द्वारा निर्धारित आरक्षण को ही पूरा किया जा रहा है. यहां तक की दि हिंदू ने एक आरटीआई के जवाब में पाया कि जहां पर वैज्ञानिक और तकनीकी विभाग में आरक्षण लागू नहीं है वहां ऐसे समुदाय से आने वाले कर्मचारियों की संख्या एक अंक में ही है.

उदाहरण के लिए राष्ट्रीय प्रतिरक्षण संस्थान (डीबीटी द्वारा वित्त पोषित) में कुल 208 स्थाई कर्मचारियों में से सिर्फ 34 एससी, एसटी से संबंध रखते हैं. जबकि इनमें से सिर्फ दो वैज्ञानिक ऐसे हैं जो एससी से हैं. एसटी वर्ग से कोई भी वैज्ञानिक नहीं है.

इसी तरह के एक अन्य संस्थान, जैव प्रौद्योगिकी के लिए क्षेत्रीय केंद्र में कुल 44 पद हैं. इनमें से सिर्फ चार पदों पर एससी या एसटी के उम्मीदवार हैं. जबकि इनमें से कोई भी वैज्ञानिक के पद पर नहीं है.

इस मामले में पुणे का नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस सबसे आगे है. यहां पांच पदों पर एससी उम्मीदवार और दो पदों पर एसटी उम्मीदवार हैं.

जिन 16 संस्थानों से आरटीआई द्वारा ये जानकारी मांगी गई थी उनमें से सिर्फ नौ संस्थानों ने अपने जवाब साझा किए. इस बारे में आरटीआई दाखिल करने वाले अशोक कुमार ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट में शोधकर्ता हैं. इस संस्थान में भी कुल 32 स्थाई कर्मचारियों में से सिर्फ दो एससी, एसटी से संबंधित हैं. इनमें एक कर्मचारी वैज्ञानिक के पद पर है.

हिंदू ने जब इस बारे में पड़ताल करते हुए डीबीटी की सचिव रेनू स्वरूप से बात की तो उन्होंने कहा कि इस समस्या पर हमारी नजर जा चुकी है और हमने इसके लिए जरूरी कदम उठाए हैं.

उन्होंने कहा, “कुछ संस्थानों में प्रतिनिधित्व की समस्या है, हमने इन नियुक्तियों में समान प्रतिनिधित्व के लिए उपाय निकाला है, जिसका असर आगे से दिखाई देगा. हालांकि नियुक्तियों में और भी कारक हैं. जैसे उपलब्धता, बैकलॉग और जरूरी कौशल आदि.”

दिसंबर 2918 में लोक सभा में ऐसे ही एक सवाल का जवाब देते हुए सरकार की ओर से कहा गया था कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 936 प्रोफेसर के पदों में से 193 पर एससी, एसटी के उम्मीदवार हैं. जबकि 1838 एसोसिएट प्रोफेसर में से 395 इस वर्ग से आते हैं.


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