मध्य प्रदेश: गोवध निषेध कानून तोड़ने वालों को अब तीन साल की सजा होगी
गोवध निषेध कानून तोड़ने वालों को दंडनीय अपराध के तहत सजा देने का प्रावधान करने वाला मध्य प्रदेश पहला राज्य बन गया है. राज्य सरकार ने गोवध निषेध कानून में संशोधन किया है.
कैबिनेट ने कानून में संशोधन पर अपनी मंजूरी दे दी है.
इसके साथ ही मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन चुका है जिसने गोरक्षा से संबंधित मामलों से निपटने के लिए कानूनी सुधार किया है. अब वे लोग जो हिंसा में शामिल हैं, कानून तोड़ने के लिए जिम्मेदार हैं या संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, दंडनीय अपराध के अंतर्गत आएंगे.
इस तरह के मामलों में पहली बार में तीन साल तक की सजा और दोबारा पकड़े जाने पर पांच साल तक की सजा का प्रावधान होगा.
मौजूदा समय में ऐसे अपराधों में भारतीय दंड संहिता और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत कार्रवाई होती है.
भीड़ द्वारा हिंसा और कथित गो-रक्षकों के संबंध में टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2018 में कहा था कि भीड़तंत्र के घिनौने कृत्यों को कानून की अवहेलना नहीं करने दिया जा सकता.
कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए नया कानून लाया जाए. कोर्ट ने केंद्र को ऐसे मामलों से निपटने के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी जारी किए थे.