मध्य प्रदेश में ‘फेक’ मतदाता के भरोसे बीजेपी?


Madhya Pradesh voting list scandal

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मध्य प्रदेश में साल 2008 से 2013 के बीच मतदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई. इस बीच 1.04 करोड़ नए मतदाताओं को जोड़ा गया. जिनमें 59 लाख मतदाताओं की वैधता संदिग्ध है. पॉलिटिकल टेक स्टार्ट-अप पॉलिटिक्स डॉट इन ने अपने विश्लेषण में पाया है कि इन पांच साल में कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट(सीएजीआर) अचानक 5.18 फीसदी की दर से बढ़ गया.


फोटो साभार : पॉलिटिक्स डॉट इन

स्टार्टअप के मुताबिक यह दुनिया में सबसे अधिक ग्रोथ रेट है. इसके पीछे कोई बड़ी वजह नहीं बताई गई है. वहीं विधानसभा चुनाव 2018 से ठीक पहले इस दर में 2.76 (जून 2018) की कमी गंभीर सवाल उठाते हैं.


फोटो साभार : पॉलिटिक्स डॉट इन

आम तौर पर सीएजीआर एक फीसदी से लेकर तीन फीसदी के बीच होता है. तेजी से फल-फूल रहे लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था वाले देशों में सीएजीआर की दर दो फीसदी के आसपास होती है.  इसका सीधा संबंध जनसंख्या से भी है. स्टार्टअप के मुताबिक गणना के तरीकों में अंतर होने पर इसमें मामूली अंतर आ सकता है. लेकिन इतना बड़ा अंतर संभव नहीं है.


फोटो साभार : पॉलिटिक्स डॉट इन

मध्य प्रदेश में साल 1970 के बाद से जनसंख्या वृद्धि की दर दो फीसदी के आसपास रही है. यही ट्रेंड पूरी दुनिया में देखने को मिलता है.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2013 में 72 फीसदी मतदान हुआ था. इस हिसाब से 1.04 करोड़ नए मतदाताओं में 75 लाख ने मतदान किया. इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के वोट में कुल 28.76 लाख का अंतर था. डाटा के आधार पर स्टार्टअप ने मध्यप्रदेश विधानचुनाव 2013 के चुनाव परिणाम पर गंभीर सवाल उठाए हैं.


फोटो साभार : पॉलिटिक्स डॉट इन

साल 2008 से 2013 के बीच अगर वोटर की संख्या सीएजीआर की दर  2.4 फीसदी (बेस इयर के हिसाब से) की दर से बढ़ती तो राज्यभर में वोटर की संख्या 4.07 करोड़ होती है. वहीं साल 2008 से 2013 के बीच वोटर की संख्या बढ़कर 4.66 करोड़ हो गई. अनुमानित बढ़ोत्तरी और वास्तविक बढ़ोत्तरी का अंतर 59 लाख होता है. यानी 59 लाख ‘फेक’ वोटर जोड़े गए.

अगर इन ‘फेक’ वोटर में आधे भी वोटिंग (2013 विधानसभा चुनाव में 72 फीसदी वोट पड़े थे) हो तो यह संख्या करीब 29.5 लाख होती है.


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