पश्चिम बंगाल, एमपी और राजस्थान में मोटर वाहन एक्ट लागू नहीं


Uttar Pradesh government is considering reducing penalty units

 

पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश ने मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम को लागू करने से मना कर दिया है. दोनों राज्यों ने यातायात उल्लंघन करने पर लागू जुर्माना राशि पर मतभेद का हवाला दिया है.

राजस्थान ने कहा है कि वह राज्य के परिवहन मंत्री के साथ जुर्माने की राशि की समीक्षा करेंगे उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.

राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि राज्य में संशोधित प्रावधान लागू रहेगा लेकिन जुर्माने की राशि की समीक्षा की जाएगी.

मोटर वाहन अधिनियम के नए संशोधन के मुताबिक अधिकांश अपराधों के लिए एक साल में दंड राशि जो पहले 1,000 रुपये तय थी, अब हर साल 10 फीसदी के साथ बढ़ सकती है. इस अधिनियम के तहत अपराधों के लिए बढ़े हुए जुर्माने की राशि से कई लोग खुश नहीं हैं.

इसके अलावा शराब पीकर गाड़ी चलाने पर और ऐम्बुलेंस को रास्ता ना देने पर सख्त कार्यवाई करते हुए 10,000 रुपये का जुर्मना वसूला जाएगा. कुछ मामलों में जेल की सजा के साथ लाइसेंस रद्द करने की भी संभावना है.

प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा, “केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम पूरे देश में लागू किया गया है. इसके साथ ही यह राजस्थान में भी लागू हुआ है. हम ना इस अधिनियम को रोक सकते हैं और ना ही सरकार को. लेकिन, हमारा अधिकार है कि हम जुर्माने की राशि को बदलें.” उन्होंने कहा,“मेरा मानना है कि जनता के पास जुर्माना भरने भर पैसे तो होने चाहिए.”

उन्होंने कहा कि चालकों के लिए जुर्माना भुगतान करने के लिहाज से काफी ज्यादा हो सकता है और ऐसा भी हो सकता है कि किसी भी यातायात नियमों के उल्लंघन के बाद वे बिना जुर्माना भरे ही भाग जाएं.

परिवहन मंत्री ने यह भी कहा कि वे नहीं मानते हैं कि जुर्माने की राशि सड़क हादसे या घटनाओं से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि बढ़े हुए जुर्माने की राशि से भ्रष्टाचार और बढ़ेगा.

उन्होंने कहा, “हम यह नहीं कह रहे हैं कि हम इसे खत्म कर देंगे लेकिन हम इसे कम कर सकते हैं. हमने सोमवार 2 सितंबर को इसकी समीक्षा के लिए एक बैठक बुलाई है. इसके बाद हम सभी फैसले ले लेंगे.”

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “आप 500 रुपये से 5,000 रुपये और 2,000 से सीधे 25,000 रुपये कर दे रहे हैं. देश अभी आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. कई लोग हैं जो मोटरसाईकल चलाते हैं लेकिन उनके पास दो वक्त की रोटी का इंतजाम नहीं हो पाता है. जब आप 20,000 रुपये का जुर्माना देंगे तो कार से कैसे छुटकारा पाएंगे?”

दूसरी ओर मध्यप्रदेश के कानून मंत्री पीसी शर्मा ने साफ करते हुए कहा है कि राज्य में इस वक्त नए यातायात कानून को लागू नहीं किया जाएगा.

शर्मा ने कहा,“मैंने कानून सचिव से बात की है और मैं मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी बात करूंगा ताकि कानून को थोड़ा संशोधित कर के लागू किया जा सके. इस वक्त जुर्माने की राशि बहुत ज्यादा है जो हर कोई नहीं भर सकता है.”

उधर पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने भी इस अधिनियम को ना लागू करने का फैसला किया है.

राज्य सरकार ने साफ करते हुए कहा कि वह इस अधिनियम के कुछ प्रावधानों को लेकर सहमत नहीं है, जिसमें चालकों से जुर्माना वसूलना भी शामिल है.

इस बीच दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा है कि नए मोटर वाहन संशोधन अधिनियम के तहत यातायात उल्लंघन के लिए जुर्माना भरने से संबंधित अधिसूचना जारी करने से पहले दिल्ली सरकार सभी हितधारकों के साथ बातचीत करेगी, जिसमें शहर के यातायात पुलिस भी शामिल हैं.”

गहलोत ने एक बयान में कहा,“कई सालों के बाद इस अधिनियम के तहत ज्यादा जुर्माना लगाने की बात कही गई है. जुर्माने से संबंधित अधिसूचना को यातायात पुलिस और बाकी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद जारी किया जाएगा.”

उन्होंने कहा,“हम एक या दो दिन में फैसला ले लेंगे. इस फैसले में लोगों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान से संतुलित किया जाएगा.”

जुलाई 2019 को संसद में मोटर वाहन संशोधन विधेयक पारित किया था. नए कानून के तहत यातायात नियमों को सख्त करना है. साथ ही यातायात नियमों के उल्लंघन करने पर बड़ा जुर्माना लगाना है.

मोटर वाहन अधिनियम,1988 के अनुच्छेद 200 में कहा गया है कि राज्य सरकार कुछ अपराधों के लिए जुर्माना लगाने से संबंधित अधिसूचना जारी कर सकती है. इसके लिए राज्य सरकार यातायात संबंधित अपराध के लिए जुर्माना तय कर सकती है. साथ ही जुर्माना लगाने की प्रक्रिया में अधिकारियों को इसके देखरेख के लिए नामित करना भी शामिल है.

कानूनी प्रावधानों के मुताबिक ऐसे गुनाह जो शिकायतकर्ता और अभियुक्त के बीच कोर्ट या कोर्ट के आज्ञा के बिना आपस में सुलाह कर सकते हैं, उन्हें कंपाउंडेबल अपराध कहते हैं, जबकि ऐसे गंभीर गुनाह जिन्हें आपस में सुलाह करके नहीं सुलझाया जा सकता है उसे गैर-कंपाउंडेबल अपराध कहते हैं


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