मराठा आरक्षण के दौरान पुलिस गोलीबारी कानूनीः महाराष्ट्र सरकार
PTI
मराठा आरक्षण के दौरान हुई पुलिस गोलीबारी को महाराष्ट्र सरकार ने कानूनी करार दिया है. महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री राज कुमार बडोले ने कहा कि, “पुलिस ने उन जगहों पर कानून के अनुसार कार्रवाई की, जहां जुलाई-अगस्त 2018 में मराठा आरक्षण के लिए किया गया आंदोलन हिंसा में बदल गया था.”
राजकुमार बडोले ने कांग्रेस के शरद रैंपिस, विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे, कांग्रेस सदस्य हेमंत ताकले के सवाल पर विधान परिषद में यह जानकारी दी.
महाराष्ट्र में इस साल जुलाई-अगस्त में हुए मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान पुलिस ने कार्रवाई करते हुए लोगों पर गोलीबारी की थी, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी.
विपक्षी नेताओं ने सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग वाले आंदोलन के हिंसक हो जाने पर पुलिस ने गोलीबारी की, जिसमें कई लोगों की जानें चली गईं.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस वर्ष नौ अगस्त को बुलाए बंद के दौरान पुलिस ने मासूम लोगों के खिलाफ झूठे मामले भी दर्ज किए.
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के नेताओं ने ऐसे मामलों को वापस लिए जाने के लिए पुलिस आयुक्त से मुलाकात भी की थी.
बडोले ने कहा कि सरकार मारे गए प्रदर्शनकारियों के परिवार वालों को सहायता मुहैया करा रही है.
मराठा समुदाय को आरक्षण दिए जाने पर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) ने मराठा समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट सौंपने से पहले 43,629 परिवारों का सर्वेक्षण किया था.
मराठा समुदाय राज्य में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है.
आयोग ने पिछले सप्ताह अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी , जिसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आरक्षण की मांग पूरी करने का संकेत भी दिया था.
सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि मराठा समुदाय के लोग सरकार और अर्द्ध सरकारी सेवाओं में कम प्रतिनिधित्व के साथ ‘सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के नागरिक’ हैं.