कांग्रेस हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ रही है: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में दिए अपने अभिभाषण में कहा है कि राज्यसभा में उनके पास बहुमत नहीं है लेकिन जनता के फैसले को सदन में दबाया नहीं जा सकता है.
उन्होंने झारखंड में हुई मॉब लिंचिंग की घटना पर भी दुख जताया लेकिन कहा कि इसके लिए पूरे प्रदेश को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.
उन्होंने मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के ऊपर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ रही है और वो आत्मावलोकन के लिए अब भी तैयार नहीं है.
मोदी ने 25 जून को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए भी कांग्रेस पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि हमारी ऊंचाई को कोई कम नहीं कर सकता, ऐसी गलती हम नहीं करते. हम दूसरे की लकीर छोटी करने में विश्वास नहीं करते, हम अपनी लकीर लंबी करने के लिए जिंदगी खपा देते हैं.
राज्यसभा में दिए गए प्रधानमंत्री के अभिभाषण की कुछ प्रमुख बातें –
1. ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं जब चुनाव स्वयं जनता लड़ती है. 2019 का चुनाव दलों से परे देश की जनता लड़ रही थी.
2. ये चुनाव विशेष थे, कई दशकों के बाद पूर्ण बहुमत की सरकारें बनना मतदाताओं की सोच की स्थिरता जाहिर करता है.
3. प्रधानमंत्री ने तंज किया कि कांग्रेस हारी तो देश हार गया. देश यानी कांग्रेस, कांग्रेस यानी देश. अहंकार की एक सीमा होती है. बीजेपी की जीत को लोकतंत्र तथा देश की हार बताना लोकतंत्र का अपमान है.
4. जो लोग आत्मावलोकन करने के लिए तैयार नहीं है, वे अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ रहे हैं. आपके साथ समस्या यह है कि आप जीत को पचा नहीं सकते और हार को स्वीकार नहीं कर सकते.
5. ‘एक देश, एक चुनाव’ की अवधारणा को पार्टियां चर्चा किए बिना ही खारिज कर रही हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि लोग एक साथ चुनाव कराने के लिए पर्याप्त रूप से समझदार हैं और इसका उदाहरण ओडिशा है जहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव में विभिन्न दल विजयी हुए.
6. राज्यसभा में सरकारी कामकाज को बाधित करने वाले दलों को देश की जनता ने दंडित किया है. क्या आप पुराना भारत चाहते हैं जहां मंत्रिमंडल के फैसलों को संवाददाता सम्मेलन में फाड़ा जाता था और रक्षा संपत्ति पर पिकनिक मनाई जाती थी.
7. हमने प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में काम किया जिससे भारत के लोगों को लाभ मिल सके. हमारे पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है लेकिन जनता के फैसले को सदन में दबाया नहीं जा सकता.
8. झारखंड में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर एक युवक की जान लेने की घटना दुखद है, दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी लेकिन इसके लिए पूरे प्रदेश पर आरोप लगाना सही नहीं है. हिंसा चाहे झारखंड में, पश्चिम बंगाल में हो या केरल में हो, हिंसा से निपटने का तरीका समान होना चाहिए. 1984 के सिख विरोधी दंगों में जिन लोगों के नाम शामिल थे, वे (कांग्रेस) पार्टी में वरिष्ठ पदों पर संवैधानिक पदों पर रहे.
9. राजीव गांधी ने असम समझौते में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को स्वीकार किया था, हमारे लिए यह वोट बैंक नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है.
10. यह अत्यंत दुखद और शर्मनाक है कि बिहार में मस्तिष्क ज्वर से बच्चों की मौत हुई. देश को युवा पीढ़ी के सपनों के अनुकूल बनाना होगा.