पाकिस्तान के साथ टकराव को लेकर ममता ने पूछे तीखे सवाल


mamata banerjee on pulwama incident says we don't want war for the sake of politics

 

पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मानना है कि पुलवामा हमले के बाद कुछ सवाल ऐसे हैं जो अनसुलझे रह गए हैं. ममता इस पूरे प्रकरण पर सरकार की चुप्पी पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार को इस पूरे मामले का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, भारत-पाक सीमा पर हुए हवाई संघर्ष पर अपना पक्ष रखने से पहले उन्होंने कहा कि वो इस मामले में अभी बाकी की जानकारियों का इंतजार कर रही हैं.

ममता ने सरकार से हवाई हमले के तथ्य सबसे सामने रखने की मांग करते हुए कहा, “हम जानना चाहते हैं, हवाई हमले के दौरान किन लोगों की मौत हुई? वो लोग कौन थे? हमले के बारे में पूरी जानकारी कहां है?”

पुलवामा हमले के बाद से विपक्षी पार्टियों के साथ रहे केंद्र सरकार के रवैए से भी वो नाराज दिखीं. वो कहती हैं कि पुलवामा हमले और वायु सेना के हवाई हमले के बाद प्रधानमंत्री ने विपक्षी पार्टियों के साथ एक भी मीटिंग नहीं की.

ममता पूछती हैं कि 26 फरवरी को हुए वायु सेना हवाई हमले में मारे गए आतंकियों के संबंध में अब तक कोई तथ्य या स्पष्ट जानकारी क्यों नहीं पेश की गई है.

उन्होंने कहा, “भारतीय मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया इस विषय में अलग-अलग जानकारी दे रहा है. भारतीय न्यूज चैनलों से मुझे पता चला है कि हवाई हमले में करीब 300-350 आतंकियों की मौत हुई है. मैंने वॉशिंगटन पोस्ट, न्यूयॉर्क टाइम्स और रॉयटर की रिपोर्ट्स पढ़ी हैं जिसमें ये दावा किया गया है कि इस हमले में एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है. ऐसे में सवाल उठते हैं कि हमला कहां किया गया? ये हमला सही जगह किया गया या नहीं?”

ममता कहती हैं कि “परिस्थियां खराब होती हैं और युद्ध की स्थिति बनती है तो मैं इसके खिलाफ नहीं हूं. हम सब अपने देश से प्यार करते हैं. देश के लिए अगर जरूरी होगा तो हम युद्ध के लिए भी तैयार हैं. पर हमें ध्यान रखना होगा कि किसी के राजनीतिक हित साधने के लिए युद्ध नहीं होना चाहिए. अपने जवानों के खून पर हमें राजनीति नहीं करनी है, इस तरह की राजनीति की मैं कड़ी निंदा करती हूं.” वो कहती हैं कि हमें अपने सैनिकों पर गर्व है.

ममता ने हवाई हमले के समय पर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने पूछा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में पुलवामा हमले से पहले दो ओर आतंकी हमले हुए थे. उसके बाद तो सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए. वे कहती हैं कि आम चुनावों से ठीक पहले युद्ध जैसी स्थितियां खड़ा करना राजनीतिक दांवपेंच की ओर से इशारा करता है.

ममता ने सरकार पर जवानों की सुरक्षा से समझौता करने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा हमले के संबंध में पहले ही खुफिया जानकारी जारी की गई थी, पर किसी तरह के कोई एहतियाती कदम नहीं उठाए गए.


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