मराठा आरक्षण विधेयक विधानसभा में पारित
मराठा आरक्षण विधेयक महाराष्ट्र विधानसभा में एक मत से पास हो चुका है. मराठा समुदाय लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहा था.
इससे पहले राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों पर कार्रवाई रिपोर्ट सदन में रखी गई थी.
मौजूदा विधेयक के मसौदे के मुताबिक मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में 16 फ़ीसदी आरक्षण को मंजूरी दे दी गई है. इससे पहले सरकार ने इस विधेयक को इसी सत्र में रखने की बात कही थी. मौजूदा सत्र 30 नवंबर को समाप्त होने जा रहा है.
उधर बीजेपी के सहयोगी दल शिवसेना ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है. बीजेपी और शिवसेना ने अपने विधायकों को ह्विप जारी कर सदन में उपस्थित रहने का आदेश दिया है.
मराठा आरक्षण विधेयक को लेकर राजनीतिक लाभ उठाने की जोर-आजमाइश अभी से शुरू हो चुकी है. बीजेपी और शिवसेना दोनों में इसका श्रेय लेने की होड़ लगी हुई है. बीजेपी सरकार में मंत्री अर्जुन खोटकर ने कहा कि ये सबके लिए उत्सव का समय है.
इससे पहले बुधवार शाम को राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें आरक्षण विधेयक के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई. इस बैठक के बाद पाटिल ने कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो सत्र को विस्तार दिया जा सकता है. महाराष्ट्र विधानसभा ये शीतकालीन सत्र 19 नवंबर को शुरू हुआ था.
इस साल जुलाई-अगस्त में हुए मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान पुलिस ने कार्रवाई में कई लोगों की जान चली गई थी. इस पर विपक्षी नेताओं के सवालों के जवाब में महाराष्ट्र सरकार के सामाजिक न्याय मंत्री राज कुमार बडोले ने कहा था कि, “पुलिस ने उन जगहों पर कानून के अनुसार कार्रवाई की, जहां जुलाई-अगस्त 2018 में मराठा आरक्षण के लिए किया गया आंदोलन हिंसा में बदल गया था.”
महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) के मुताबिक मराठा समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट सौंपने से पहले 43,629 परिवारों का सर्वेक्षण किया गया था.
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि मराठा समुदाय के लोग सरकारी और अर्ध सरकारी सेवाओं में कम प्रतिनिधित्व के साथ ‘सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के नागरिक हैं.’