NEXT को लागू होने में तीन साल का वक्त लगेगा: स्वास्थ्य मंत्रालय
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि संयुक्त अंतिम वर्ष एमबीबीएस परीक्षा (नेशनल एक्जिट टेस्ट ‘नेक्स्ट’) को लागू करने में तीन साल का समय लग सकता है. इन नए प्रावधानों वाला विधेयक बीते हफ्ते संसद से पास हो चुका है.
एनएमसी विधेयक में परास्नातक मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश और मरीजों के इलाज हेतु लाइसेंस हासिल करने के लिए एक संयुक्त अंतिम वर्ष एमबीबीएस परीक्षा (नेशनल एक्जिट टेस्ट ‘नेक्स्ट’) का प्रस्ताव दिया गया है. यह परीक्षा विदेशी मेडिकल स्नातकों के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट का भी काम करेगी.
इस टेस्ट के बाद ही मेडिकल से स्नातक छात्र अपनी प्रैक्टिस शुरू कर सकेंगे. मेडिकल के क्षेत्र में आगे की पढ़ाई करने के लिए भी ये टेस्ट पास करना जरूरी होगा.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इन नियमों के प्रभाव में आने के बाद पूरे देश में डॉक्टरों की सामान्य सैद्धांतिक और क्लीनिकल समझ का टेस्ट लिया जाएगा. जिससे पूरे देश में डॉक्टरों के ज्ञान और कौशल का समान स्तर सुनिश्चित किया जा सके.
मंत्रालय का कहना है कि एनएमसी विधेयक के तहत आने वाले नियमों की रूपरेखा तय करने में उसे कम से कम तीन साल का समय लगेगा.
एनएमसी विधेयक से मेडिकल छात्रों के बीच अपने करियर को लेकर कई तरह के संदेह पैदा हो गए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से ये वक्तव्य ‘नेक्सट’ और निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस बढ़ाए जाने की चिंताओं को लेकर जारी किया गया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि एनएमसी निजी कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों को नियंत्रित करेगा. मंत्रालय ने कहा कि 68,000 मेडिकल सीटें सरकारी कॉलेजों में हैं. निजी और सरकारी कॉलेजों को मिलाकर सरकार कुल 75 फीसदी सीटों को विनियमित करेगी. ये सीटें उचित फीस पर उपलब्ध होंगी.
मंत्रालय की ओर से कहा गया कि इसके बावजूद राज्य सरकार को छूट होगी कि निजी कॉलेजों में बाकी की बची सीटों के लिए वो फीस आदि का निर्धारण करे. राज्य सरकारें निजी कॉलेजों के साथ अपने समझौते और शर्तों के मुताबिक इन्हें तय कर सकती हैं.
मंत्रालय ने कहा कि ऐसा सोच लेना कि निजी कॉलेज गैन विनियमित सीटों पर मनमाने तौर पर फीस बढ़ा सकते हैं, सही नहीं है.
सरकार ने अपने सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं को मॉर्डन मेडिसिन की प्रैक्टिस करने की इजाजत देने वाले नियम का बचाव किया और कहा कि देश में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए ऐसा करना जरूरी है.