अब 10वीं क्लास के इतिहास पर NCERT की कैंची


mhrd took out three chapters from ncert class 10th history books

 

एनसीआरटी ने 9वीं कक्षा के बाद अब 10वीं कक्षा की इतिहास की किताब में से तीन अध्यायों को हटा दिया है. मानव और संसाधन विकास मंत्रालय ने पाठ्यक्रम समीक्षा के तहत इतिहास की किताब ‘भारत और समकालीन विश्व- II’ से तीन अध्यायों (72 पन्नें) को निकाला है. इसमें एक अध्याय  वियतनाम में साम्राज्यवाद-विरोधी आंदोलन में महिलाओं की भूमिका पर भी केन्द्रित है.

हैरत की बात ये है कि मानव संसाधन मंत्रालय ने ये अध्याय पाठ्यक्रम को ज्यादा व्यवहारिक बनाने और पढ़ाई का बोझ कम करने के नाम पर हटाए हैं. जबकि ‘नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क’ (एनसीएफ) 2005 के तहत छात्रों के ऊपर पहले ही इन अध्यायों को पढ़ने की बाध्यता नहीं थी. ये नीति एनसीईआरटी के पूर्व चेयरमैन कृष्णा कुमार के कार्यकाल के दौरान बनी थी और उन्होंने सरकार के इस फैसले पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

निकाले गए तीन अध्यायों में से पहला अध्याय भारत-चीन में राष्ट्रवाद के उभार पर केंद्रित हैं, जबकि दूसरा अध्याय उपन्यासों के माध्यम से समकालीन विश्व को समझने की कोशिश करता है. पाठ्यक्रम से निकाला गया तीसरा अध्याय विश्व में शहरों के विकास को दिखाता था.

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‘इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन’ अध्याय में बताया गया है कि दुनिया के अलग-अगल हिस्सों में राष्ट्रवाद कैसे विकसित हुआ और उसने समकालीन विश्व की रंगत-सूरत तय करने में कितनी अहम भूमिका अदा की है. इसके साथ वियतनाम में साम्राज्यवाद-विरोधी आंदोलन में महिलाओं की भूमिका पर भी अध्ययन किया गया है.

‘उपन्यास, समाज और इतिहास’ में पश्चिम में उपन्यास के इतिहास को और फिर भारत के कुछ इलाकों में इसके विकास का अध्ययन किया गया है.

‘काम, आराम और जीवन’ में आधुनिक विश्व में शहरीकरण के इतिहास को समझने की कोशिश की गई है. महानगरीय विकास के दो आधुनिक शहरों- लंदन और मुंबई के विस्तार का अध्ययन किया गया है.

सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कृष्णा कुमार ने कहा, “साल 2005 में एनसीएफ के तहत पढ़ाई करने के तरीके और सोच में परिवर्तन लाने की कोशिशें की गई थी. कोशिश थी कि छात्रों को केवल परिक्षा के लिए ना तैयार किया जाए. छात्रों को परीक्षा में विकल्प के साथ सभी अध्यायों से सवाल दिए जाते हैं. अपनी समझ और पसंद से अनुसार छात्र चुनकर सवालों के जवाब दे सकता है. इसके लिए उसे सभी अध्यायों को अनिवार्य रूप से पढ़ने के जरुरत नहीं होती. छात्रों में इतिहास की बेहतर समझ बनाने के लिए ये अध्याय पाठ्यक्रम का हिस्सा थे.”

एनसीआरटी के अधिकारियों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, प्रकाश जावड़ेकर के सुझावों के बाद विभाग ने गणित और विज्ञान के विषयों में सबसे कम कटौती करते हुए बाकी पाठ्यक्रमों में करीब 20 फीसदी की कटौती की है.

एनडीए सरकार के कार्यकाल में यह दूसरी बार है जब पाठ्यक्रम समीक्षा के तहत किताबों के अध्यायों पर कैंची चलाई गई है. इससे पहले साल 2017 में एनसीआरटी ने 182 किताबों में 1,334 बदलाव किए थे.

इससे पहले बीते महीने मंत्रालय के फैसले के बाद एनसीईआरटी ने 9 वीं कक्षा की इतिहास की किताब समकालीन विश्व-I से तीन अध्यायों (करीब 70 पेजों) को निकाल दिया था. जिसमें त्रावणकोर की कथित निचली जाति की शनार महिलाओं के संघर्ष समेत तीन अध्यायों को पाठ्यक्रम से हटाया गया था. पाठ्यक्रम समीक्षा के तहत इस साल लिया गया ये दूसरा बड़ा फैसला है.


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