मोदी सरकार में सिर्फ ढाई फ़ीसदी मनरेगा मजदूरों को 100 दिन का रोजगार मिला


 

सरकार ने कहा है कि वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान देश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत 29.56 लाख परिवारों को 100 दिनों का रोजगार मिला.

भारत सरकार की वेबसाइट के मुताबिक देशभर में मनरेगा मजदूरों की संख्या 11 करोड़ 69 लाख है. कुल 11 करोड़ मजदूरों के मुकाबले 29 लाख 56 हजार का अनुपात लगभग 2.5 बैठता है.

राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के सांसद मानस भुनिया के एक सवाल के लिखित जवाब में ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन को बताया, ‘‘मनरेगा एक मांग आधारित योजना है. प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान देश में मनरेगा के अंतर्गत 29.56 लाख परिवारों ने 100 दिनों का रोजगार पूरा किया.’’

भूनिया के सवाल के जवाब में मंत्री ने यह भी कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान पश्चिम बंगाल में मनरेगा के तहत 5.58 लाख परिवारों ने 100 दिनों का रोजगार पूरा किया.’’

वहीं सरकार ने इससे पहले लोकसभा में दावा किया था कि साल 2015-16 से लेकर 21 दिसंबर 2018 तक महात्मा गांधी रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत 19 करोड़ से अधिक परिवारों को रोजगार मिला है. सरकार के अपने इस दावे में यह कही भी नहीं बताया था कि कुल कितने मजदूरों को तीन साल में कम-से-कम सौ दिन का रोजगार मिला है.

लोकसभा में बीजेपी सांसद डॉ. मनोज राजोरिया के एक सवाल के लिखित जवाब में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामकृपाल यादव ने सदन को बताया था कि मनरेगा के तहत वर्ष 2015-16 में चार करोड़ 81 लाख 32 हजार, 2016-17 में पांच करोड़ 12 लाख 22 हजार, 2017-18 में पांच करोड़ 11 लाख 71 हजार और मौजूदा वर्ष 2018-19 में 21 दिसंबर तक चार करोड़ 40 लाख 41 हजार परिवारों को रोजगार मिला है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मनरेगा की इस स्थिति पर अपने ट्वीट में कहा कि इस सरकार ने बैंकों का 41,167 करोड़ रुपया जिगरी दोस्तों के नाम कर दिया इतने में मनरेगा का कार्यक्रम पूरे एक साल चल जाता.


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