‘सूत्रों’ के हवाले से मीडिया में भ्रम फैलाने का यह खेल!


 

केन्द्र सरकार ने किसानों का लोन माफ करने से साफ इनकार कर दिया है. लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि लोन माफी से डिफॉल्टर्स को बढ़ावा मिलेगा और क्रेडिट कल्चर प्रभावित होगा. लेकिन इसके उलट लोन माफी की खबरें ‘सूत्रों’ और ‘मीडिया-रिपोर्टों के हवाले’ से न्यूज मीडिया में चलाई जा रही हैं. जबकि राज्य मंत्री का बयान गूगल सर्च में ‘नहीं’ है.

अंग्रेजी अखबार द हिन्दू के मुताबिक सरकार की ओर से कहा गया कि लोन माफी संबंधी योजना से उधार की संस्कृति प्रभावित होगी, कर्ज ना चुकाने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा और लोन माफी की मांग करने वालों का मनोबल बढ़ेगा.

शिव सेना सांसद एमपी भावना गवाली पाटिल  के प्रश्न पर लिखित जवाब में रुपाला ने कहा, “केन्द्र सरकार किसानों की लोन माफी के लिए कोई भी योजना लाने नहीं जा रही है.”

हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में किसानों की लोन माफी एक बड़ा मुद्दा रहा है.  पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी को तीन बड़े राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में अपनी सत्ता खोनी पड़ी है. चुनाव विश्लेषकों के मुताबिक केन्द्र सरकार की नीतियों की वजह से तीनों राज्यों में बीजेपी को नुकसान झेलना पड़ा है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के 10 दिनों के भीतर किसानों की कर्ज माफी करने की घोषणा की थी.

11 दिसम्बर को संसद में दिए जवाब में रूपाला ने कहा ,” ऐसी छूट से उधार लौटाने की क्षमता रखने वाले लोगों में भी खुद को दिवालिया बताने की प्रवृत्ति बढ़ेगी और इससे राज्य में उधार की संस्कृति प्रभावित होगी, जो लोग समय पर लोन दे रहे हैं वे भी हतोत्साहित होंगे. एक बार लोन माफ करने के बाद ऐसी दूसरी मांग को खारिज करना मुश्किल होगा.”

हालांकि केन्द्रीय मंत्री ने स्वीकार किया कि नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो डेटा के मुताबिक दिवालियापन, कर्ज और किसानों से जुड़े मुद्दों की वजह से सबसे अधिक लोग आत्महत्या कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोन माफी के बजाय सरकार किसानों के कर्ज कम करने के अन्य उपाय कर रही है जिनमें संस्थानों से कर्ज की उपलब्धता भी शामिल है.

दैनिक अखबार जनसत्ता  के मुताबिक 2013-15 के बीच 29 सरकारी बैंकों ने 1.14 लाख करोड़ रुपये के लोन को डूबा हुआ घोषित किया था. द वायर  में छपी खबर के मुताबिक कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया था कि सरकार ने जानबूझकर 2014-17 के बीच बड़े पूंजीपतियों के 1,88,287 करोड़ रुपये लोन माफ किए हैं.  वायर के मुताबिक कांग्रेस प्रवक्ता ने इसे साबित करने के लिए डॉक्यूमेंट भी जारी किए थे. लेकिन सरकार किसानों के कर्ज माफ करने को तैयार नहीं है.

बहरहाल, केन्द्र सरकार की स्पष्ट घोषणा के उलट ज्यादातर न्यूज़ मीडिया सूत्रों के हवाले से केन्द्र सरकार की किसानों की लोन माफी की योजना संबंधी खबरें चला रहे हैं.

दैनिक भास्कर ने 13 दिसम्बर 2018, 08:54 बजे “दावा / 26 करोड़ किसानों का 4 लाख करोड़ रु. का कर्ज माफ करने की तैयारी में मोदी सरकार” शीर्षक के साथ लोन माफी की खबर छापी है.

वहीं हिन्दी वेबसाइट पंजाब केसरी ने लोन माफी की ऐसी ही एक खबर को शीर्षक दिया है, “चुनावी झटकों के बाद मोदी सरकार की बड़ी तैयारी, देशभर के किसानों का कर्ज हो सकता है माफ” 12 दिसंबर 2018, 9.33 PM में आखिरी बार अपडेट हुए इस खबर में कहा गया है कि मोदी सरकार ‘बिलियन डॉलर’ में किसानों का कर्ज चुकाने जा रही है.

हिन्दी वेबसाइट आज तक ने लिखा है,  “रॉयटर ने सूत्रों के मुताबिक दावा किया है कि मोदी सरकार बहुत जल्द देश में किसानों के लिए एक बड़ी कर्जमाफी का ऐलान कर सकते हैं.”

हिन्दी अखबार अमर उजाला ने 13 दिसम्बर को 11.36 एएम में छपी एक खबर का शीर्षक दिया है, “4 लाख करोड़ के कर्ज माफ करने की तैयारी में सरकार, बजट में भी खुलेगा किसानों के लिए खजाना”. इस खबर में किसानों की लोन माफी की संभावना व्यक्त की गई है लेकिन खबर कहां से आई है इसकी कोई जानकारी नहीं है.

अब सवाल उठता है क्या मीडिया हाउस जान-बूझकर यह प्रचार कर रहे हैं? या इसके पीछे केन्द्र सरकार का दबाव काम कर रहा है?


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