भारत में वायु प्रदूषण से एक साल में मरे 12 लाख लोग: अध्ययन


death of one million children below five years of age every year due to air pollution

 

वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत में साल 2017 में वायु प्रदूषण से 12 लाख लोगों की मौत हुई. बोस्टन स्थित हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट के हालिया अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि बीते कुछ साल में विश्व भर में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक साल 2017 में चीन, भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, नाइजीरिया, यूके, रूस, ब्राजील और फिलीपीन्स में वायु प्रदूषण से सबसे अधिक लोग मारे गए. इसके पीछे बाहरी और घरेलू दोनों प्रदूषण जिम्मेदार रहे.

वायु प्रदूषण से चीन और भारत दोनों ही देशों में मरने वालों का आंकड़ा समान रहा. इसके अलावा वायु प्रदूषण से पाकिस्तान में एक लाख 28 हजार, इंडोनेशिया में एक लाख 24 हजार जबकि बांग्लादेश में एक लाख 23 हजार लोग मारे गए.

‘द स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट 2019’ के अध्ययन में कहा गया है कि वायु प्रदूषण की वजह से विश्व भर में लोगों की जीवन प्रत्याशा में औसतन एक साल से 8 महीने की कमी आई है.

रिपोर्ट में वायु प्रदूषण को मौजूदा समय की सबसे खतरनाक समस्या के रूप में रेखांकित किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण से मरने वालों की संख्या कुपोषण, शारीरिक कमजोरी और शराब का सेवन करने से मरने वालों की संख्या की तुलना में ज्यादा है.

धूम्रपान के बाद वायु प्रदूषण से जीवन प्रत्याशा में सबसे ज्यादा कमी होती है. अध्ययन के अनुसार इससे लोगों की औसत जीवन प्रत्याशा में एक साल से 8 महीने की कमी आई है. हालांकि इसका असर अलग-अलग देशों में भिन्न रहा.

घर में होने वाले वायु प्रदूषणों के कारणों में ठोस ईंधन (लकड़ी, कोयला) को एक बड़ी वजह बताया गया है. भारत में 60 फीसदी जनसंख्या अब भी अपनी निजी जरुरतों को पूरा करने के लिए ठोस ईंधन के माध्यमों पर निर्भर है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ठोस ईंधन से पैदा हुए वायु प्रदूषण की वजह से 4,82,000 लोग मारे गए.

घरों में होने वाले प्रदूषण की वजह से चीन और भारत में सबसे ज्यादा लोग मारे गए.

रिपोर्ट में प्रमुख तौर पर चीन का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि पिछले कुछ साल में प्रदूषण कारक पीएम2.5 का स्तर कम हुआ है. लेकिन यह डब्यूएचओ के निर्धारित न्यूतम स्तर से अभी भी ऊंचा बना हुआ है.

साल 2017 में, ग्लोबल बर्डन डिजीज (जीबीडी) के मुताबिक “चीन में पीएम 2.5 की वजह से आठ लाख 52 हजार मौते हुईं. ओजोन के संपर्क में आने की वजह से बढ़े खतरे पर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए. इसके अलावा पुरानी सांस की बीमारी से चीन में करीब एक लाख 78 हजार लोगों की मौत हुई.”

हालांकि बीते कुछ साल में चीन ने वायु प्रदूषण से पैदा हुई समस्याओं से निपटने के लिए कई सराहनीय कदम उठाए हैं, जो इन मौजूदा समस्याओं से निपटने कि लिए नई संभावओं की ओर इशारा करते हैं.


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