मुजफ़्फ़रनगर दंगा: आरोपियों के ख़िलाफ़ मुकदमे की इजाज़त योगी सरकार ने नहीं दी अब तक


Uttar Pradesh: Recommendation of responsibility for police officers in case of Mob lining

 

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों के मामलों की जांच कर रहे विशेष जांच दल को आरोपियों के ख़िलाफ़ मुकदमा चलाने की अनुमति राज्य सरकार से अब तक नहीं मिली है. दंगों के लगभग 20 मामलों में विधायक और सांसद भी आरोपियों की सूची में हैं.

विशेष जांच दल के सूत्रों के अनुसार भारतीय दंड विधान की धारा 153 ए (धार्मिक स्थल पर किया गया अपराध) के तहत आरोपियों के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई करने के जांच एजेंसी के आग्रह पर राज्य सरकार ने पिछले पांच साल से अब तक कोई जवाब नहीं दिया है.

विशेष जांच दल (एसआईटी) ने राज्य सरकार से आरोपियों के ख़िलाफ़ दंगों के 20 मामलों में कथित रूप से घृणा फैलाने वाला भाषण देने के मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी.

पुलिस ने बीजेपी विधायक उमेश मलिक, बीजेपी सांसद भारतेंदु सिंह, हिंदुत्व नेता साध्वी प्राची और अन्य के ख़िलाफ़ इसमें उनकी कथित भूमिका के लिए मामला दर्ज किया गया था.

मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए सांप्रदायिक संघर्ष में कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 40 हजार से अधिक लोग विस्थापित हुए थे.

हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा था कि, “उम्मीद है कि मामले में शामिल अन्य ‘बड़े नेताओं’ के साथ ही 2002 के गुजरात दंगे और मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसाओं के साजिशकर्ताओं को भी सज़ा मिलेगी.

केजरीवाल ने यह भी कहा था कि आम नागरिक शांतिप्रिय हैं और सद्भावना के साथ रहना चाहते हैं, लेकिन ये दंगे राजनीतिक रूप से भड़काए हुए हैं.


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