नगा शांति वार्ता: मणिपुर में सुरक्षा बढ़ी, प्रदर्शन जारी
नगा शांति वार्ता के नतीजों को लेकर बढ़ रही चिंताओं के बीच मणिपुर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है जहां नगा लोगों की बड़ी आबादी रहती है. इसके अलावा किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई हैं.
मणिपुर के विभिन्न नागरिक समाज पूरे राज्य में प्रदर्शन कर रहे हैं. वे केंद्र से यह आश्वासन चाहते हैं कि नगा समस्या के राजनीतिक समाधान से मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता प्रभावित नहीं होगी.
पिछले हफ्ते अपनी मांगों के समर्थन में कई समूहों ने ‘ काम बंदी’ का आह्वान किया गया था जिसकी वजह से पूरे मणिपुर में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ.
केंद्र सरकार ने हालांकि 31 अक्टूबर को स्पष्ट किया था कि नगा उग्रवादी समूहों से हो रही बातचीत पूरी नहीं हुई है और अंतिम समझौते पर पहुंचने से पहले असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश सहित सभी पक्षकारों से चर्चा की जाएगी.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ” राज्य के सभी सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए महत्वपूर्ण इलाकों में बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों के जवानों की तैनाती की गई है.”
उन्होंने ‘पीटीआई्-भाषा को बताया, ”राज्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए अर्धसैनिक बलों की 15 नई कंपनियों को तैनात किया है. कुछ कंपनियां राज्य में पहुंच चुकी हैं और मौजूदा समय में इम्फाल के तीन कॉलेजों में डेरा डाले हुए है. पिछले कुछ दिनों से सेना के जवान भी एएन-32 विमान से यहां पहुंच रहे हैं.”
प्रशासन ने दावा किया कि सुरक्षा में की गई बढ़ोतरी से राजमार्गों की निगरानी और बंद या रास्ता जाम करने जैसी अप्रिय घटनाओं से निपटने में मदद मिलेगी.
राज्य में प्रदर्शन कर रहे सात संगठनों के शीर्ष निकाय मणिपुर अखंडता समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) के सदस्य ने कहा कि केंद्र के आश्वासन के बावजूद शांत होना मुश्किल है क्योंकि बातचीत में क्या हुआ यह स्पष्ट नहीं.
सीओसीओएमआई के समन्वयक सुनील करम ने कहा, ”बातचीत के दौरान चर्चा के बिंदुओं को लेकर लोगों को अंधेरे में रखा गया. हमनें केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि वे चार नवंबर तक नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड- इसाक मुइवा (एनएससीएन-आईएम) के साथ हुए मसौदा समझौते की जानकारी दे.”
एनएससीएन-आईएम पूर्वोत्तर का सबसे अहम उग्रवादी समूह है जो नगा बहुल इलाकों को एकीकृत करने के साथ अलग झंडे और संविधान की मांग कर रहा है जिसे केंद्र सरकार पहले ही खारिज कर चुकी है.
इस बीच, छात्र संगठनों और मानवधिकार पर गैर सरकारी संगठनों की समिति ने शिक्षण संस्थानों में सुरक्षा बलों के रहने की व्यवस्था करने की आलोचना की है. उन्होंने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को ज्ञापन सौंपा है.