लोकसभा चुनाव के खत्म होते ही सेट-अप बॉक्स से गायब हुआ नमो टीवी


 namo tv disappears after elections end

 

नमो टीवी दर्शकों के सेट-अप बॉक्स से ठीक उसी तरह गायब हो गया है जिस रहस्मयी तरीके से अचानक वो टीवी पर आया था. चैनल के इस तरीके से अचानक बंद हो जाने की वजह से बहुतों के मन में संदेह उत्पन्न हो गया है.

नमो टीवी ने 26 मार्च 2016 को लोकसभा चुनाव शुरू होने के ठीक कुछ दिन पहले कई प्लेटफॉर्म पर अपनी जगह बनाई थी.

इस चैनल का फंड भारतीय जनता पार्टी से आता है. चैनल की शुरुआत पर ही विपक्ष ने इसकी प्रमाणिकता पर सवाल उठाए थे. चैनल जिस तरीके से सिर्फ नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू, रैली और स्कीम दिखाता था इस वजह से विपक्ष ने इसे ‘प्रॉपेगैंडा मशीन’ कहकर संबोधित किया था.

टाटा स्काई, वीडियोकॉन और डिश टीवी जैसे डीटीएच ऑपरेटर ने इसे फ्री टू एयर रखा था.

विपक्ष ने चुनाव आयोग से जब इसकी शिकायत की तो आयोग ने सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय से इस पर जवाब मांगा था.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के जवाब ने आग में घी का काम किया. मंत्रालय के अनुसार नमो टीवी विज्ञापन आधारित प्लेटफॉर्म है, जिसका खर्चा भारतीय जनता पार्टी उठाती है. मंत्रालय ने सफाई दी कि नमो टीवी रजिस्टर्ड चैनल नहीं है जिसे प्रसारित करने के लिए परमीशन लेने की जरूरत पड़े.

अप्रैल में चुनाव आयोग ने निर्देश दिया था कि नमो टीवी पर दिखाए गए सभी रिकॉर्डेड प्रोगाम को पूर्व–प्रमाणित किया जाए. इसके बाद दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी ने बीजेपी को निर्देश दिए कि उसकी इजाजत के बगैर नमो टीवी पर कोई कंटेंट न दिखाया जाए.

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर पक्षपाती होने का इल्जाम लगाया था. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “चुनावी बॉन्ड और ईवीएम से चुनाव अनुसूची में हेरफेर करने के लिए, नमो टीवी, मोदी की सेना और अब केदारनाथ में नाटक इससे स्पष्ट है कि मोदी और उनके साथियों के आगे चुनाव आयोग ने घुटने टेक दिए हैं. चुनाव आयोग भय मुक्त और सम्मानित हुआ करता था जोकि अब नहीं है.”

चुनाव आयोग के सूत्रों का कहना है कि नमो टीवी का विचार लोगों का ध्यान आकर्षित करना और सरकार के कामकाज को उजागर करना था ताकि पार्टी को अधिक वोट मिल सकें.


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